हिसार | मेघालय के DGP लज्जा राम बिश्नोई इन दिनों अपने होम टाउन हरियाणा के हिसार जिलें में आए हुए हैं. मेघालय का डीजीपी बनने के बाद पहली बार वो अपने घर आए हैं. डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई की IPS अफसर बनने की कहानी बड़ी ही विचित्र है क्योंकि वें वेटरनरी सर्जन बनना चाहते थे. एक दिन कालेज में क्विज प्रतियोगिता चल रही थी और उन्होंने अपने दोस्त के साथ इसमें भाग लिया. इस दौरान उन्हें पता चला कि भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसी प्रतिभागी परीक्षा भी होती है और DC, SP बनने का रास्ता यही से होकर गुजरता है.
डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई फतेहाबाद जिले के गांव चिंदड़ के रहने वाले हैं. ग्रामीण स्तर पर शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद एचएयू के वेटरनरी कॉलेज में दाखिला लिया. उन्होंने बताया कि सपना था कि वेटरनरी सर्जन बनकर किसान परिवारों की मदद की जा सकें. इसके अलावा उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टर को अच्छी खासी तवज्जो दी जाती थी. इसलिए बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस में दाखिला ले लिया.
थर्ड ईयर में कॉलेज कंपीटिशन में लिया भाग
डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई ने बताया कि मैं और मेरे दोस्त महावीर सिंह ने पढ़ाई के दौरान कई क्विज प्रतियोगिताओं में भाग लिया और वहां से इनाम भी मिलें लेकिन उसके साथ ही सीखने को बहुत कुछ मिला. बाद में सामान्य जानकारी के लिए मैगजीन पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि आईएएस परीक्षा पास करके ही डीसी, एसपी लगते हैं.
डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई ने बताया कि पहली बार में एचसीएस की परीक्षा पास कर ली लेकिन यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं हुई. दोस्त महावीर सिंह ने पहली बार में ही यूपीएससी परीक्षा पास की और उन्हें IRS का पद मिला. इस बीच मैंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की और कोलकाता में कस्टम एक्साइज और टैक्सेशन की पोस्ट मिलीं. तीसरी बार फिर यूपीएससी परीक्षा दी और 1991 में आईपीएस अधिकारी के रूप में चयन हुआ. उन्हें असम-मेघालय कैडर मिला. 16 मई 2022 को असम ADGP से पदोन्नति देकर DGP बनाया गया.
हर राज्य में नशा: लज्जा राम
डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई ने बताया कि मेघालय में बच्चों के यौन उत्पीडन और असम में ड्रग तस्करी के मामलों की संख्या का आंकड़ा बहुत ज्यादा है. भारत के पूर्वोतर राज्यों में गोल्डन ट्रैंगल ऐसा एरिया म्यांमार, थाईलैंड की सीमा पर है. यहां जंगल और नदियों का जाल है और प्राइवेट ड्रग माफिया जमकर तस्करी के काम को अंजाम देते हैं.
माता- पिता की स्मृति में कमरों का निर्माण
डीजीपी लज्जा राम बिश्नोई ने बताया कि उनकी रिटायरमेंट में अब एक साल का समय शेष बचा है. उनकी इच्छा है कि वो नौकरी से रिटायर होने के बाद अपने घर हिसार पर ही बाकी का जीवन व्यतीत करें. साथ ही रिटायरमेंट के बाद गांव के सरकारी स्कूल में अपने माता- पिता की स्मृति में कमरों का निर्माण करने की इच्छा है. इसके अलावा सामाजिक कार्यों में बढ़- चढ़कर भाग लेने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा.
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