चंडीगढ़ | पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए स्पष्ट किया कि कर्मचारी की पेंशन की गणना करते समय दैनिक वेतन भोगी के रूप में दी जाने वाली सेवा को नियमित करने से पहले जोड़ना भी जरूरी है. याचिका दायर करते हुए गुरुग्राम निवासी रामू राम ने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्हें 1 जुलाई 1982 को गुरुग्राम में बिजली विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त किया गया था.
मई 1993 में उन्हें नियमित किया गया. इसके बाद, उन्हें सहायक लाइनमैन और फिर लाइनमैन के रूप में पदोन्नति मिली. याचिकाकर्ता ने कहा कि जब वह 2016 में सेवानिवृत्त हुए, तो दैनिक वेतन के रूप में प्रदान की गई सेवा को सेवा की अवधि के लिए पेंशन में नहीं जोड़ा गया था. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में विभाग को मांग पत्र भी दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
हरियाणा सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्ति से संबंधित कोई सबूत नहीं मिला है. इस पर याचिकाकर्ता पक्ष ने उच्च न्यायालय में वरिष्ठता सूची प्रस्तुत की, जिसके अनुसार याचिकाकर्ता की नियुक्ति 1 जुलाई 1982 को है. इस सूची के आधार पर उच्च न्यायालय ने दैनिक वेतन भोगी के रूप में प्रदान की जाने वाली सेवाओं को याचिकाकर्ता की पेंशन गणना में दस साल के लिए जोड़ने का आदेश दिया. वहीं कोर्ट ने माना कि इस मामले में देरी सरकार की वजह से हुई है, ऐसे में हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को याचिकाकर्ता की बढ़ी हुई पेंशन 6 फीसदी ब्याज के साथ सौंपने का आदेश दिया है.
दिव्यांग कोटे के लिए आवेदनकर्ता को अनुसूचित जाति का लाभ क्यों नहीं: HC
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब लोक सेवा आयोग को अनुसूचित जाति के आवेदक को दिव्यांग कोटे में आवेदन करने पर अनुसूचित जाति का लाभ नहीं देने पर नोटिस जारी किया है. याचिका दायर करते हुए अबोहर निवासी मनप्रीत सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि पंजाब सरकार ने विभिन्न पदों के लिए आवेदन मांगे थे. याचिकाकर्ता ने दिव्यांग कोटा के तहत जूनियर इंजीनियर के पद के लिए आवेदन किया था.
याचिकाकर्ता ने बताया कि परीक्षा 300 अंकों की थी और 45 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य था. अनुसूचित जाति के आवेदकों के लिए 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य थे. उन्हें भर्ती से हटा दिया गया क्योंकि उनके 122 अंक थे जो 45 प्रतिशत से कम थे. याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह अनुसूचित जाति का है और इसलिए उसे न्यूनतम 40 प्रतिशत अंकों के साथ योग्य घोषित किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह उसके साथ अन्याय होगा क्योंकि वह अनुसूचित जाति से है. हाईकोर्ट ने याचिका पर पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
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