पंचकूला | सरकारी स्कूलों के छात्रों की सुरक्षा को लेकर हरियाणा शिक्षा विभाग ने चौकसी बरतनी शुरू कर दी है. स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर क्या प्रबंध है और स्कूल प्रबंधन इसको लेकर कितना गंभीर है , इसकी जांच के लिए अब शिक्षा विभाग की टीम गठित की गई है. इसको लेकर शिक्षा निदेशालय द्वारा पूरे प्रदेश के डीईओ, डीईईओ, डाइट प्रिंसिपल व जिला परियोजना समन्वयक को निर्देश जारी किए गए हैं.
सरकारी स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था की जांच को लेकर इन सभी अधिकारियों के नेतृत्व में टीमों का गठन किया जाएगा, जो सभी स्कूलों में स्कूल सेफ्टी ऑडिट के काम को छह महीने में पूरा करेगी. टीमें शिक्षा विभाग द्वारा जारी छात्र सुरक्षा सूची के 164 बिंदुओं के अनुसार सुरक्षा व्यवस्था का आंकलन करेगी और यदि किसी बिंदु में खामियां नजर आती है तो उसे तुरंत प्रभाव से दुरस्त किया जाएगा.
खंड स्तर पर माह में 24 स्कूलों का आडिट जरूरी
शिक्षा निदेशालय ने पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि डीईओ व डीईईओ सुनिश्चित करेंगे कि उनके जिलें में हर महीने सेफ्टी ऑडिट और सुरक्षा सूची पूर्ण रूप से भरी जा रही है या नहीं. वहीं बीईओ को निर्देश दिया गया है कि खंड स्तर पर हर महीने 24 स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट करवाना सुनिश्चित करना होगा. वहीं, एबीआरसी तथा बीआरपी की तीन- तीन टीमें गठित की जाएगी.
वहीं शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि शेड्यूल व रूट मैप तैयार करने की जिम्मेदारी डाइट सदस्य की रहेगी कि किस स्कूल में किस दिन सेफ्टी ऑडिट हेतु टीम विजिट करेगी. वहीं डाइट सदस्य द्वारा प्रति माह चार पर्यवेक्षण किए जाएंगे. एबीआरसी व बीआरपी को चेक लिस्ट भरने का काम पूरा करना होगा और हर महीने कम से कम 8 स्कूलों का सेफ्टी ऑडिट हेतु विजिट करना होगा.
खामियों को तुरंत प्रभाव से किया जाए दूर
शिक्षा निदेशालय की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि स्कूल प्रिंसिपल स्कूल में सेफ्टी रजिस्टर लगाएं और स्कूल सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित जानकारी लिखें. एसएमसी की मीटिंग में स्कूल सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा की जाएं और कही खामियां हैं तो उसे तुरंत प्रभाव से दूर किया जाए. सेफ्टी ऑडिट में करीब 164 बिंदुओं की जांच होगी जिनमें मुख्य रूप से स्कूल बिल्डिंग, फायर सेफ्टी मैनेजमेंट, फ्लड, भूकंप मैनेजमेंट, साइक्लोन व लैंडस्लाइड मैनेजमेंट, खेल ग्राउंड व खेल एक्टिविट सेफ्टी, वाटर, स्वास्थ्य, सफाई व स्वच्छता, दिव्यांग बच्चों की सुरक्षा, सामाजिक एवं भावनात्मक सुरक्षा, यौन शौषण के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा आदि प्रमुख हैं.
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