नई दिल्ली | अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल 92 डॉलर प्रति बैरल पर हैं और विशेषज्ञ कीमतों में और कटौती की भविष्यवाणी कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम 3 रुपये प्रति लीटर तक कम हो सकते हैं. इससे पहले फरवरी में कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब था, जो जून में 125 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था.
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी) अनुज गुप्ता के मुताबिक, आने वाले दिनों में क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल पर आ सकता है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 से 3 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है. रेटिंग एजेंसी इक्रा के वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड प्रशांत वशिष्ठ के मुताबिक, देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 55-60 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी होती है, जब कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा हो जाता है. इसी तरह 1 डॉलर की कमी होने पर पेट्रोल-डीजल की कीमत में भी 55-60 पैसे प्रति लीटर की कमी आती है.
तीन महीने में 26% सस्ता हुआ कच्चा तेल
जून में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल के करीब थी, जो सितंबर के पहले सप्ताह में 92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी. इस हिसाब से क्रूड करीब 26 फीसदी कमजोर हुआ है. चीन और यूरोप के कई देशों की अर्थव्यवस्था दबाव में है. ऐसे में आगे भी कच्चे तेल की मांग कमजोर रह सकती है.
22 मई से देश में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर
22 मई को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी की. पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये की कटौती की गई थी. तब से, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं हुई है और केवल कीमतों में वृद्धि हुई है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार के आधार पर तय होते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
जून 2010 तक, केंद्र सरकार पेट्रोल की कीमत तय करती थी और इसे हर 15 दिन में बदल दिया जाता था. 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमत तय करने का काम तेल कंपनियों पर छोड़ दिया. इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार तय करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने यह काम तेल कंपनियों को सौंप दिया.
वर्तमान में तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, विनिमय दर, कर, पेट्रोल और डीजल की परिवहन लागत और कई अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं.
भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चे तेल का करता है आयात
हम अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदते हैं. इसके लिए हमें डॉलर में भुगतान करना होता है. ऐसे में कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से पेट्रोल-डीजल महंगा होने लगा है. कच्चा तेल बैरल में आता है. एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चा तेल होता है.
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