गुरुग्राम | वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के एक आदेश से हरियाणा एनसीआर क्षेत्र में स्थित उद्योग जगत के हाथ- पांव फूल गए हैं. आयोग द्वारा एनसीआर क्षेत्र में स्थित उद्योगों को डीजल आधारित जनरेटर सेट और बॉयलर को पीएनजी गैस पर शिफ्ट करने का आदेश जारी किया है और इसके लिए आखिरी डेडलाइन 30 सितंबर निर्धारित की गई है. वहीं जहां पर फिलहाल पीएनजी की उपलब्धता नहीं है, वहां 1 जनवरी 2023 तक की मोहलत दी गई है. इस तारीख तक इन उद्योगों को भी पीएनजी पर शिफ्ट होना ही होगा.
नियम तोड़ने पर कड़ी कार्रवाई का प्रविधान
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के आदेश पर 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक पांच माह ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू होता है. इस दौरान डीजल जेनरेटर सहित कई अन्य कारणों जैसे कूड़ा जलाने पर 5 हजार रुपए जुर्माना, निर्माण कार्यों पर रोक, कोयला या लकड़ी जलाने पर प्रतिबंध आदि से होने वाले प्रदुषण पर रोक लगाने के उपाय किए जाते हैं. वहीं उद्योग जगत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के इस आदेश को अव्यावहारिक मान रहा है.
ग्रेप से होगा हर किसी को नुकसान
गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान जेएन मंगला का कहना है कि किग्रेप लागू होने पर हम उद्योग जगत के नुकसान का आकलन कर चुके हैं. ग्रेप लागू होने पर बिजली सप्लाई बंद होने की सूरत में यदि एक घंटे के लिए भी जनरेटर चलाया गया तो उद्योग सील कर दिया जाएगा. सीलिंग खुलवाने तक उद्योग बंद रहते हैं. इससे उत्पादन गिरता है और दैनिक मजदूर को मजदूरी नहीं मिल पाती है.
इसके अलावा कई निर्यातक कंपनियों के विदेश से मिले ऑर्डर भी रद्द हो जातें हैं. कई उद्योग ऐसे हैं जो निरंतर उत्पादन की प्रोसेस में रहते हैं. डाई यूनिट के लिए तो एक मिनट भी मशीन रोकना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में पीएनजी के भाव 70 फीसदी तक बढ़ गए हैं. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने डीजल जनरेटर सेट और बायलर पीएनजी पर शिफ्ट करने के लिए अव्यावहारिक कानून बनाया है. इसमें बदलाव करने की सख्त जरूरत है. सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना होगा वरना हर किसी को नुक़सान होना तय है.
ग्रेप से प्रभावित हरियाणा के जिले
गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, नूंह सोनीपत, पानीपत, करनाल, जींद, रोहतक, भिवानी, चरखी दादरी, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी, झज्जर.
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