नई दिल्ली | बढ़ती बीमारियों को देखते हुए सरकार ने मंगलवार को जरूरी दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची जारी की है. सबसे बड़ी बात यह है कि ये दवाइयां आम आदमी को बेहद सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगी. इसके लिए सरकार उन पर मूल्य सीमा भी तय करेगी. ऐसे में कंपनियां चाहकर भी इन जरूरी दवाओं के दाम नहीं बढ़ा पाएंगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने नई सूची जारी करते हुए यह जानकारी दी.
एनईएलएम क्या है?
एनईएलएम में शामिल दवाइयां राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा से नीचे बेची जाती हैं. अनुसूचित दवाओं की कीमतों में वृद्धि मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति से जुड़ी हुई है जबकि गैर-अनुसूचित दवाओं के लिए कंपनियां हर साल कीमतों में 10 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकती है. बता दें कि नई एनईएलएम सूची में 384 दवाएं शामिल हैं और 1.6 लाख करोड़ के घरेलू फार्मा बाजार में इनकी 17-18 फीसदी हिस्सेदारी है.
एनईएलएम की तैयारी, एक लंबी प्रक्रिया- मंडाविया
एनईएलएम के विमोचन के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि नया एनईएलएम अपडेट किया गया है और आपके सामने आ गया है. इसे तैयार करने में एक लंबी प्रक्रिया लगती है उसके बाद इसमें एक दवा शामिल की जाती है. ये दवाएं एक स्वतंत्र समिति द्वारा निर्धारित की जाती हैं. उन्होंने कहा कि यह सूची 350 विशेषज्ञों और 140 बार परामर्श के बाद तैयार की गई है.
लोग सस्ती दर पर एनईएलएम में शामिल दवाएं ले सकेंगे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि एनईएलएम में शामिल दवाएं लोगों को सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगी. इसके लिए एनपीपीए इन दवाओं की कीमत तय करेगा. उसके बाद कंपनियां मनमाने ढंग से दाम नहीं बढ़ा पाएंगी. इन दवाओं की नई कीमतें जल्द ही जारी की जाएंगी. उन्होंने कहा कि एनईएलएम में शामिल दवाओं में मधुमेह के लिए इंसुलिन ग्लार्गिन, तपेदिक के लिए डेलामेनिड और एंटीपैरासाइट के लिए आइवरमेक्टिन जैसी आवश्यक दवाएं शामिल हैं.
नई सूची में 34 नई दवाएं शामिल- प्रवीण
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण ने कहा कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सूची है. यह प्राथमिक, माध्यमिक और आपातकालीन सेवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. नई सूची में 34 नई दवाएं जोड़ी गई हैं और 26 को हटाया गया है. 27 को चिकित्सा श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है. स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि इस सूची में सिर्फ अधिसूचित दवाएं ही शामिल हैं. ये दवाएं सार्वजनिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर आधारित हैं. लोग इन दवाओं को आसानी से खरीद सकते हैं.
छह साल बाद संशोधित की गई सूची
NLEM को पहली बार 1996 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की आवश्यक दवाओं की सूची (ELM) की तर्ज पर लॉन्च किया गया था. इसे हर तीन साल में संशोधित किया जाता है. पिछली बार यह सूची 2015 में जारी की गई थी, लेकिन अब इसे छह साल बाद जारी किया गया है. सरकार ने देरी के लिए कोरोना महामारी को जिम्मेदार ठहराया है. नई सूची का प्रस्ताव आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव की अध्यक्षता वाली एनएलईएम समिति ने तैयार किया था.
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