Haryana Panchayat Election: पंचायत चुनावों में अब फिर फंसा एक नया पेच, जानें कब होंगे चुनाव

चंडीगढ़, Haryana Panchayat Election | गांव के लोग गांव की सरकार चुनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. करीब 7 साल पहले चुने गए गांवों की सरकार का कार्यकाल करीब ढाई साल पहले पूरा हो चुका है. करीब 2 साल से क्षेत्र में काम कर रहे संभावित प्रत्याशी पंचायत चुनाव की अधिसूचना का इंतजार करते-करते थक चुके हैं. अदालत की बाधा दूर होने के बाद, प्रधान का बुखार फिर से संभावित उम्मीदवारों पर था और सभी की निगाहें 12 सितंबर को प्रस्तावित आरक्षण ड्रा पर टिकी हुई थीं. लेकिन बीसी (ए) डेटा और नेताजी की अनुपलब्धता के कारण ड्रॉ स्थगित कर दिया गया था. हालांकि चुनाव को लेकर चर्चा का दौर अब भी जारी है.

Haryana Panchayat Election 2022

बता दें कि झज्जर जिले में जिला परिषद के 19 वार्डों के लिए दो चरणों में 10 और 17 जनवरी 2016 को मतदान हुआ था. बहादुरगढ़ और झज्जर पंचायत समिति के लिए 10 जनवरी 2016 को मतदान हुआ था. जबकि 17 जनवरी को वोट डाले गए थे. दूसरे चरण में बेरी, मातनहेल और साल्हावास वर्ग डाले गए. इसके बाद 28 जनवरी 2016 को मतगणना हुई. इन ग्राम सरकारों का कार्यकाल 21 फरवरी 2021 को समाप्त हो गया है. जैसे-जैसे प्रस्तावित चुनाव का समय करीब ढाई साल नजदीक आता जा रहा है, संभावित उम्मीदवारों में बेचैनी बढ़ती जा रही है. खासकर आरक्षण के आदेश को लेकर चर्चा हो रही है.

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पिछड़ा वर्ग आरक्षण का मामला अदालत में विचार करने के बाद बहादुरगढ़ संभाग सहित झज्जर जिले में 12 सितंबर को आरक्षण ड्रा निकाला जाना था. लेकिन 12 सितंबर को होने वाला ड्रा बीसी (ए) के लिए डेटा उपलब्ध न होने के कारण स्थगित कर दिया गया है. ऐसे में आरक्षण की स्थिति पर स्पष्टता नहीं होने के कारण अभी से अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कौन मैदान में उतरेगा. तब तक जीत या हार की भविष्यवाणी करना गलत है. हालांकि राजनीतिक दलों ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन ज्यादातर गांवों में लोग पंचायत चुनाव को सुबह से ही गुणा करना शुरू कर देते हैं. क्योंकि दावेदार करीब दो साल से तैयारी कर रहे हैं.

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संभावित उम्मीदवार बैनर, पोस्टर, खेल प्रतियोगिताओं और सामाजिक समारोहों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इसमें उनका खर्च भी लगातार दो साल से हो रहा है. इसलिए दावेदार चुनाव जल्द कराने की दुआ कर रहे हैं. ग्राम प्रधान, जिला परिषद सदस्य, प्रखंड समिति आदि पर आरक्षण नए सिरे से शुरू करना होगा. कई नेता पूर्व में आरक्षित सीटों में फेरबदल की आशंका से डरे हुए हैं. अब तक चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे संभावित उम्मीदवारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. हालांकि कई लोगों को उम्मीद है कि इस बार भी आरक्षण उन्हीं के मुताबिक होगा.

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अधिकारियों के मुताबिक बीए (ए) का डाटा मिलने के बाद ही आरक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. सियासी गलियारे से जुड़े लोगों की माने तो कई नेताओं का दिल-दिमाग कहीं दौड़ रहा है. चुनाव में बागी राजनीतिक दलों के समीकरण भी बिगाड़ सकते हैं. इस समय माहौल भ्रम, संभावनाओं, आशंकाओं की धुंधली तस्वीर बना रहा है. इसको लेकर मतदाताओं के साथ-साथ राजनीतिक दलों के समर्थक व कार्यकर्ता व संभावित उम्मीदवार भी बेचैन हैं.

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