नई दिल्ली | PWD विभाग बारापूला एलिवेटेड कोरिडोर प्रोजेक्ट के तीसरे चरण में यमुना नदी पर दिल्ली का पहला एक्स्ट्रा डोज पुल का निर्माण कार्य कर रहा है. इस पुल की खासियत जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इस पुल का निर्माण जमीन से महज 11 मीटर की ऊंचाई पर हो रहा है. दक्षिणी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली के बीच की राह आसान करने के लिए बनाए जा रहे बारापुला फेज-3 एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण कार्य अगले साल तक पूरा होने के आसार जताए गए हैं.
यमुना नदी पर पुल बनाना चुनौतीपूर्ण
यमुना नदी पर पुल का निर्माण कार्य किसी चुनौती से कम नहीं है. पिछले साल पुल को सहारा देने के लिए बने पिलरों में से एक पानी के तेज बहाव की वजह से झुक गया था लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग इस तरह की घटना को रोकने के लिए शुरुआत से ही पूरी सावधानी बरत रहा है. विभाग द्वारा पिलरों को मजबूती देने के लिए नदी के तल पर ‘कुंआ नींव’ बनाया जा रहा है. पिलर नदी में 50 मीटर गहरे हैं, नदी के किनारे से गुजरते हुए और ‘कुएं’ लगभग 14 मीटर व्यास के हैं, जिसके नीचे कंक्रीट के गोलाकार पैड कई परतों में रखे गए हैं.
जानें पुल की लंबाई
बारापुला फेज-1, 2 और 3 कॉरिडोर की कुल लंबाई 9.5 किमी है. फेज-1 सराय काले खां से जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम तक 4 किमी है. फेज-2 जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम से आईएनए 2 किमी और फेज-3 सराय काले खां से मयूर विहार फेज-दो 3.5 किमी है.
जमीन से 11 मीटर ऊपर है पुल
पुल के शेष दो पिलर जो जमीन पर हैं, 82 मीटर की दूरी पर हैं. पुल जमीन से करीब 11 मीटर की उंचाई पर बन रहा है. जिन स्थानों पर दो पिलर खड़े किए गए हैं, उन स्थानों पर यमुना के पानी के बहाव का अनुमान लगाया गया है और झुकाव के दबाव को सहन करने के लिए घाटों का निर्माण किया गया है. पीडब्ल्यूडी स्तम्भों का आधार बनाने के लिए 50 मीटर तक की गहराई तक जा रहा है.
इस तकनीक का किया गया है इस्तेमाल
सेंट्रल रोड़ रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक पुल एक्सपर्ट लक्ष्मी परमेश्वरन ने बताया कि भारत के कुछ हिस्सों में केबल से बने पुलों के पुल डेक को लचीला बनाने की जगह पुल डेक को कठोर और मजबूत करने के लिए एक्स्ट्रा डोज तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. इससे पुल अधिक किफायती और लंबे समय तक सुरक्षित हो जाता है.
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