यमुनानगर: पराली जलाने वालों किसानो की अब खैर नहीं, यह 28 गांव येलो जोन में

यमुनानगर | हर साल किसानों को खेतों में पराली जलाने के लिए मना किया जाता है जिसे लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. मगर फिर भी खेतों में पराली जलाने के मामले सामने आते रहते हैं. प्रशासन ने खेतों में पराली जलाने वालों से इस बार सख्ती से निपटने का फैसला लिया है. जहां एक ओर सैटेलाइट मॉनिटरिंग की जाएगी, वहीं दूसरी ओर येलो जोन में शामिल 28 गांवों में विशेष रूप से गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा.

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हालांकि, जिले का कोई भी गांव रेड जोन में शामिल नहीं है लेकिन विभाग हर गांव को ग्रीन जोन में लाने की तैयारी में है. बता दें कि पिछले साल धान सीजन में पराली जलाने पर 61 चालान किए गए थे. कुल एक लाख 52 हजार 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार कोशिश है कि एक भी केस न आए.

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किस साल कितने मामले आए

वर्ष 2017 में गेहूं सीजन में 41 चालान किए गए जबकि एक लाख पांच हजार 500 रुपये जुर्माना लगाया गया. धान सीजन में 11 चालान व 27500 रुपये जुर्माना, 2018 में गेहूं सीजन में 34 चालान व एक लाख दो हजार 500 रुपये जुर्माना, धान सीजन में 112 चालान व दो लाख 82 हजार 500 रुपये जुर्माना, 2019 गेहूं सीजन में 11 चालान व 27 हजार 500 जुर्माना, धान सीजन में 116 चालान व दो लाख 90 हजार जुर्माना, गेहूं सीजन 2020 में 14 चालान व 28 हजार रुपये जुर्माना, धान सीजन में 248 चालान व छह लाख 35 हजार रुपये जुर्माना किया गया.

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येलो जोन में कितने गांव शामिल

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार जिले का एक भी गांव अभी ग्रीन जोन में नहीं है. 28 गांव ऐसे हैं जो येलो जोन में हैं. बिलासपुर में छह, रादौर में 12, छछरौली में पांच, सरस्वतीनगर में चार और सधौरा में एक गांव येलो जोन में हैं. इन गांवों में निगरानी और जागरूकता के लिए अधिकारियों की विशेष ड्यूटी लगाई गई है. फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो गया है. किसानों को विभिन्न माध्यमों से फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों और लाभों से भी अवगत कराया जा रहा है.

ऐसा है जुर्माने का प्रावधान

दो एकड़ तक खेत में पराली जलाने पर 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ तक के फसल अवशेष को जलाने पर पांच हजार रुपये और इससे अधिक जलाने पर 15 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. साथ ही, किसान का चालान भी किया जाता है. हर साल फसल अवशेष जलाने पर किसानों का चालान किया जा रहा है. हालांकि, इसे पूरी तरह से नियंत्रित करना संभव नहीं है.

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दीवारें भी देंगी फसल अवशेष न जलाने का संदेश

फसल अवशेष प्रबंधन का संदेश देने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर जागरूकता वाहन भेजा जाएगा. साथ ही, किसान गोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा, जिले के विभिन्न गांवों में 51 जगहों पर दीवारों पर जागरूकता के नारे लिखे जाएंगे ताकि किसान इन्हें पढ़ें और फसल अवशेषों को खेतों में न जलाएं.

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