काले गेहूं से कर सकते हैं बंपर कमाई, जानिए कैसे होती है इसकी खेती

नई दिल्ली | भारत देश की पहचान कृषि प्रधान देश के तौर पर होती है और यहां की 70% आबादी कृषि पर निर्भर करती है. देश के विभिन्न हिस्सों में अलग अलग फसलें बोई जाती है और किसान अपनी आमदनी में इजाफा करने के लिए नित नए प्रयोग करते रहते हैं. अब खरीफ फसल की कटाई का समय नजदीक आ चुका है और इसके बाद रबी फसल बुआई की तैयारियां शुरू हो जाएगी. ऐसे में हम यहां रबी फसलों में काले गेहूं की बुआई के बारे में जानकारी देंगे, जिसमें किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

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Black Wheat

काले गेहूं की खेती

एक किसान के तौर पर यदि आप कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं तो रबी फसलों में काले गेहूं की खेती कर सकते हैं. इस खेती की विशेषता यह है कि इसमें लागत कम आती है और ये सामान्य गेहूं की तुलना में 4 गुणा अधिक रेट पर बिकता है.

जानिए कैसे करें काले गेहूं की बुआई

काले गेहूं की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर और नवंबर माह होता है. काले गेहूं की बुआई के समय खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी होनी चाहिए. इसकी बुवाई के समय खेत में प्रति एकड़ 60 किलो DAP, 30 किलो Urea, 20 किलो पोटाश और 10 किलो जिंक का इस्तेमाल करें. जब पहली बार फसल में पानी दें, उससे पहले 60 किलो यूरिया प्रति एकड़ डालें.

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जानिए कब करें सिंचाई

काले गेहूं की सिचाई बुवाई के 21 दिन बाद करें. इसके बाद, समय-समय पर नमी के हिसाब से सिंचाई करते रहें. बालियां निकलते समय सिंचाई अवश्य करें.

काले गेहूं के फायदे

काले गेहूं में एंथ्रोसाइनीन यानि नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों में दर्द, एनीमिया जैसे रोगों को खत्म करने में कामयाब होता है. काले गेहूं में कई औषधीय गुण मौजूद है जिसकी वजह से इसकी बाजार में काफी मांग रहती है और उसी हिसाब से कीमत भी है. बता दें कि एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होने की वजह से इसका रंग काला दिखाई देता है. इसमें एंथोसाइनिन की मात्रा 40 से 140 PPM होती है, जबकि सफेद गेहूं में मात्रा 5 से 15 PPM होती है.

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