फोन टैपिंग से किसान आंदोलन में खुलेंगे बड़े राज, हो सकता है बड़ा धमाका

नई दिल्ली | किसान आंदोलन में किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच तीसरी बैठक हुई. लेकिन इस तीसरी बैठक से भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. ध्यान दिया जाए तो बैठक से पहले ही केंद्र सरकार ने इसका कोई परिणाम ना निकलने के संकेत दे दिए थे. AIKSCC के संयोजक योगेंद्र यादव के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दो केंद्रीय मंत्रियों ने कुछ दिन पहले जो कहा था, उसी समय इस बैठक का परिणाम पता चल गया था.

Kisan Andolan Farmer Protest

फोन टेपिंग से सामने आएंगे राज

केंद्र सरकार के विश्वासनियों का मानना है कि जल्द ही किसान आंदोलन से संबंधित एक बड़ा धमाका हो सकता है. इसकी आशंका हरियाणा के CM मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और दूसरे BJP नेता जता रहे हैं. इसके लिए कुछ सबूतों को सार्वजनिक तौर पर पेश करने की तैयारियां की जा रही है. केंद्रीय एजेंसियां बहुत करीब से इस आंदोलन पर अपनी नजर बनाए हुए हैं और यह साबित करने की कोशिश में जुटी हैं कि यह आंदोलन हाईजैक हुआ है. फोन टाइपिंग के जंजाल में विपक्षी दल, प्रमुख किसान नेता, एक राज्य के बड़े नौकरशाह एवं कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधि भी फंस सकते हैं.

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CBI ने केंद्रीय एजेंसियों के समक्ष पेश की रिपोर्ट

जैसा कि हरियाणा के रास्ते से पंजाब के सभी किसान दिल्ली पहुंचे हैं. NIA के पूर्व आईजी रहे और कुछ महीने पहले ही अपने मूल कैडर हरियाणा में लौटे आलोक मित्तल को CID का चीफ बनाया गया है. CID द्वारा इस किसान आंदोलन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट को केंद्रीय एजेंसियों के बीच पेश किया गया है. केंद्रीय एजेंसियां अपने स्तर पर दिल्ली बॉर्डर पर इस आंदोलन से संबंधित खुफिया जानकारियों को इकट्ठा कर रही है. खुफिया एजेंसियों की इस आंदोलन पर बड़े स्तर पर हो रही ताकझांक के संबंध में योगेंद्र यादव कहते हैं कि हमें इसका पहले से ही अंदेशा था. भारत सरकार चाहती है कि इस आंदोलन को किसी भी प्रकार से बदनाम किया जाए. मैंने खुद सरकार से कहा था कि अगर किसानों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से वार्तालाप करनी है तो खुफिया एजेंसी और गृह मंत्रालय को इससे दूर रखा जाए.

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अब सरकार इस आंदोलन के हाईजैक होने की थ्योरी को जमीन पर उतारने की कोशिश कर रही है. इससे संबंधित कोई बड़ा खुलासा जल्दी हो सकता है. केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में कुछ संदिग्ध लोगों की एक लंबी सूची बनाई है जो किसान आंदोलन में शामिल है.

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