ज्योतिष, Ahoi Ashtami Vrat | अहोई अष्टमी साल का एक ऐसा त्यौहार होता है जिसमें मां अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत करने के साथ ही मां अहोई माता से कामना करती है कि उसकी संतान की लंबी आयु हो और अच्छा भविष्य हो. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि- विधान पूजा अर्चना की जाती है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप में मनाया जाता है. अबकी बारी यह 17 अक्टूबर को सुबह 9:29 से शुरू हो रही है.
जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त
- अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – शाम 05 बजकर 50 मिनट से लेकर 07 बजकर 05 मिनट तक
- अवधि – 01 घंटा 15 मिनट
- तारों को देखने का समय – 17 अक्टूबर शाम 06 बजकर 13 मिनट
- अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय समय – 17 अक्टूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट पर
- अभिजीत मुहूर्त- अहोई अष्टमी को दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक
- अमृत काल – 18 अक्टूबर को सुबह 02 बजकर 31 मिनट से 04 बजकर 19 मिनट मिनट तक
- शिव योग- 17 अक्टूबर को सुबह से लेकर शाम 04 बजकर 02 मिनट तक
- सर्वार्थ सिद्धि योग- 17 अक्टूबर, सोमवार, सुबह 05 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 18 अक्टूबर, सोमवार सुबह 06 बजकर 32 मिनट तक
इस प्रकार करें पूजा
- इस दिन सुबह उठकर सभी कामों से फ्री होकर स्नान करें. इसके बाद, व्रत का संकल्प लें और निर्जला व्रत करें.
- उत्तर पूरब दिशा में एक चौकी की स्थापना करें. इसके बाद, चौकी में लाल या फिर पीले रंग का वस्त्र बिछाए और अहोई माता की तस्वीर स्थापित करें.
- अब चौकी मे तस्वीर के पास में गेहूं का एक ढेर बनाइए और उसमें एक कलश की स्थापना करें.
- इसके बाद माता अहोई की पूजा शुरू करें. माता को फूल, माला, रोली, सिंदूर, अक्षत के साथ दूध और चावल से बना भात चढ़ाएं.