चंडीगढ़ | केन्द्र की मोदी सरकार के लिए किसान फिर से मुश्किलें खड़ी कर सकतें हैं. बुधवार को चंडीगढ़ में हरियाणा और पंजाब के करीब 30 किसान संगठनों के दिग्गज नेता इक्कठा हुए. इस मौके पर किसान नेता लखविंदर सिंह सिरसा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि बैठक में मोदी सरकार के अधूरे वादों को लेकर रणनीति तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान जो वादे किए थे,उनको अब तक भी पूरा नहीं किया गया है जिसके चलते किसानों में रोष बढ़ता ही जा रहा है.
लखविंदर सिंह सिरसा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को लेकर समन भेजे जा रहे हैं जबकि सरकार ने उन मुकदमों को खारिज करने का वादा किया था. वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने को लेकर केंद्र सरकार अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर रही है. उन्होंने बताया कि 11 दिसंबर को दिल्ली के सिघूं बार्डर पर लखीमपुर हिंसा में शहीद किसानों को लेकर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
किसान नेता लखविंदर सिंह सिरसा ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान हमारे बहुत से विदेशी एनआरआई ने मदद की थी लेकिन सरकार ने उनको ब्लैक लिस्ट किया हुआ है. इस बात को लेकर किसानों में नाराज़गी है. उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया तो हम दिल्ली में पैदल मार्च निकालने से पीछे नहीं हटेंगे. वहीं 11 दिसंबर को दिल्ली के सिघुं बार्डर पर पक्का मोर्चा लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारा कार्यक्रम सिर्फ शहीदी स्मारक आयोजित करने का है.
लखविंदर सिंह सिरसा ने कहा कि उस दिन पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों द्वारा केन्द्र सरकार को मांगपत्र सौंपा जाएगा. अगर मांगपत्र लेने में सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई तो किसान मजबूरी में कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों की भावनाओं के साथ खेलने की कोशिश की तो इसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है.
किसान दिल्ली आने के रास्ते भूले नहीं हैं. बस एक संदेश की जरूरत है और फिर पहले की तरह किसानों का जमावड़ा दिल्ली की सीमाओं पर होगा. ऐसे में हम केन्द्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो किसान आंदोलन के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में गंभीरता दिखाएं.
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