हरियाणा के इन 5 जिलों को बड़ी सौगात, बनाया जाएगा पर्यटन हब

चंडीगढ़ | राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा सरकार ने 5 जिलों को चिन्हित किया है. मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज कहा कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पंचकूला, यमुनानगर, महेन्द्रगढ़, फरीदाबाद व कुरुक्षेत्र सहित 5 जिलों को पर्यटन हब में शामिल किया गया है. इसकेे अलावा, पंचकूला में पर्यटन के लिए संरचनात्मक ढांचा तैयार करने के लिए रिपोर्ट तैयार की जा रही है.

Sanjeev Kaushal

मुख्य सचिव ने आज पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार की स्वदेश दर्शन-2.0 योजना के अंतर्गत पर्यटन आधारभूत संरचना के विकास के लिए आयोजित प्रथम राज्य संचालन कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह बेहतर कारगर योजना है.

उन्होंने कहा कि पंचकूला में मोरनी हिल्स, यादवेंद्र गार्डन, कौशल्या बांध, नाडा साहिब जैसे 55 पर्यटन स्थल हैं. महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद जिलों को इस योजना में शामिल करने का प्रस्ताव पर्यटन मंत्रालय को भी भेजा जाएगा ताकि इन जिलों में भी पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके. उन्होंने कहा कि महेंद्रगढ़ में माधोगढ़ किला, बीरबल की छत्ता, जलमहल, धोसी पर्वत जैसे कई प्राचीन स्मारक स्थल हैं, जिन्हें पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि फरीदाबाद में ऐतिहासिक सूरजकुंड, दमदमा झील, अरावली गोल्फ क्लब, सोहना जलप्रपात आदि 17 पर्यटन स्थल हैं.

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मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार सूरजकुंड में आधुनिक स्तर का विशेष पर्यटन खंड बनाने पर भी काम किया जाए. मनोहर लाल ताकि यह पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षण का केंद्र बन सके. यमुनानगर में आदि बद्री, लोहागढ़, हथनी कुंड बैराज, कालेसर राष्ट्रीय उद्यान, चनहेती स्तंभ आदि कई पर्यटन स्थल हैं. इस योजना में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कृष्णा सर्किट परियोजना को शामिल कर 97.34 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन का बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है. इनमें बहुउद्देशीय पर्यटन सूचना केंद्र, सरोवर की रेलिंग, अभिमन्यु घाट, लाइट एंड साउंड शो जैसी 5 योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जो नवंबर माह में पूर्ण कर संचालित की जाएंगी. उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र के थानेसर शेख मिर्च महल को भी इस योजना में शामिल कर विकसित किया जाए.

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क्या है स्वदेश दर्शन-2.0 योजना

इसकी शुरुआत वर्ष 2014-15 में देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास के लिए की गई थी. इस योजना के तहत पंद्रह विषयगत सर्किटों की पहचान की गई है – बौद्ध सर्किट, तटीय सर्किट, डेजर्ट सर्किट, इको सर्किट, हेरिटेज सर्किट, हिमालयन सर्किट, कृष्णा सर्किट, नॉर्थ ईस्ट सर्किट, रामायण सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, सूफी सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, जनजातीय सर्किट, वन्यजीव सर्किट.

यह 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है और केंद्र और राज्य सरकारों की अन्य योजनाओं के साथ अभिसरण करने और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और कॉर्पोरेट क्षेत्र की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के लिए उपलब्ध स्वैच्छिक वित्त पोषण का लाभ उठाने के प्रयास किए जाते हैं.

इसका उद्देश्य

  • पर्यटन को आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थापित करना.
  • नियोजित और प्राथमिकता के आधार पर पर्यटन क्षमता वाले सर्किट विकसित करना.
  • चिन्हित क्षेत्रों में आजीविका उत्पन्न करने के लिए देश के सांस्कृतिक और विरासत मूल्य को बढ़ावा देना.
  • सर्किटों/गंतव्यों में विश्व स्तरीय टिकाऊ बुनियादी ढांचे का विकास करके पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाना.
  • समुदाय आधारित विकास और गरीब समर्थक पर्यटन दृष्टिकोण का पालन करना.
  • आय के बढ़ते स्रोतों, बेहतर जीवन स्तर और क्षेत्र के समग्र विकास के संदर्भ में स्थानीय समुदायों के बीच पर्यटन के बारे में जागरूकता बढ़ाना.
  • देश भर में प्रत्येक क्षेत्र में उपलब्ध बुनियादी ढांचे, राष्ट्रीय संस्कृति और विशिष्ट साइटों के संदर्भ में थीम-आधारित सर्किट विकसित करने की क्षमता और लाभों का पूरा उपयोग करना.
  • आगंतुक अनुभव/संतुष्टि को बढ़ाने के लिए पर्यटक सुविधा सेवाओं का विकास करना.
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