हिसार । आदमपुर खंड के दो पंचायत समिति सदस्य और ग्राम पंचायत सीसवाल के सरपंच घीसाराम के साथ-साथ 13 पंचों ने 14 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Aandolan) के समर्थन में और भारत सरकार से नाराज होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. पंचायत सदस्य ओम विष्णु बेनीवाल सीसवाल से प्रतिनिधि के रूप में खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में इस्तीफा देने आए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन नए कृषि कानून हमारी कृषि-किसानी को बर्बाद करने वाले हैं. देश का किसान किसी भी कीमत पर इन कानूनों को स्वीकार नहीं करेगा.
इन पंचों-सरपंचों ने दिया अपने पद से इस्तीफा
उन्होंने कहा कि वह सभी पंचायत समिति सदस्यों, ग्राम पंचायतों, जिला पार्षदों, सांसदों और विधायकों से प्रार्थना करते हैं कि भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए और किसानों के हितों के बारे में विचार करते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दें. ओम विष्णु जी ने बताया कि गुरुवार को ग्राम पंचायत सीसवाल के सरपंच घीसाराम, ग्राम पंचायत समिति सदस्य नरषोत्तम बिश्नोई व गौरव, पंचायत सदस्य ओम विष्णु बेनीवाल, महेंद्र सिंह, दिलीप कुमार, हनुमान सिंह, प्रवीण कुमार, प्रताप, जसमा, कृष्णा, कपूर सिंह, विक्रम, इंद्रावती, सुमन और निर्मला ने अपना सामूहिक इस्तीफा खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी की गैरहाजरी में कार्यालय के राजकुमार को सौंप दिया है. उन्होंने आम नागरिकों से भी याचना की है कि वह हर तरीके से किसानों का समर्थन करें.
संदलाना के पंच ने दिया इस्तीफा
पंच संदीप कुमार ग्राम पंचायत संदलाना ने भी किसानों का समर्थन करते हुए शपथ पत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेश संदलाना की उपस्थिति में दिया है. संदीप कुमार गांव संदलाना के वार्ड नंबर 8 से पंचायत के सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए 3 नए काले कृषि कानूनों के विरोध में और किसान भाइयों के समर्थन में वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं.
आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में मुकलान के किसान दिल्ली रवाना
मुकलान गांव से किसानों का जत्था आंदोलनकारी किसानों का सहयोग करने के लिए दिल्ली की ओर रवाना हो गया है. यह किसान जत्था अपने साथ राशन पानी व खाने-पीने की अन्य सामग्रियां लेकर गए हैं. ऋषिपाल आर्य इस जत्थे का नेतृत्व कर रहे हैं. ऋषिपाल आर्य के अनुसार कृषि के प्राइवेटाइजेशन से केवल पूंजीपतियों को लाभ होगा. किसानों का इसमें नुकसान ही नुकसान है. किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना ही चाहिए.
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