नई दिल्ली | मुंबई के Shraddha Murder Case का आरोपी ब्वॉयफ्रेंड आफताब दिल्ली पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. वह जांच को भटकाने के साथ लगातार झूठ भी बोल रहा है. इस बीच आरोपी आफताब के पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के बाद जल्द ही श्रद्धा हत्याकांड का सच दुनिया के सामने आने वाला है. दिल्ली पुलिस की मानें तो अब तक लिव-इन पार्टनर श्रद्धा की हत्या का आरोपी आफताब झूठ के सहारे ज्यादा दिन नहीं बच पाएगा. दरअसल, 18 मई 2022 को श्रद्धा की हत्या के बाद शव के साथ हैवानियत करने वाला आफताब अमीन पूनावाला नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट के जरिए सच सामने लाएगा.
पहले होगा पॉलीग्राफी टेस्ट
दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अविरल शुक्ला की अदालत में पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए आवेदन किया है, जिसे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौर की अदालत में भेज दिया गया है. हालांकि, गुरुवार को ही नार्को टेस्ट के लिए कोर्ट से अनुमति मिल गई है लेकिन उससे पहले पॉलीग्राफ टेस्ट कराया जाएगा. यही वजह है कि सोमवार को नार्को टेस्ट नहीं हो सका.
सच्चाई जानने के लिए होगा टेस्ट
श्रद्धा के शव को आफताब ने 35 टुकड़ों में काटकर महरौली के जंगल के अलावा अलग-अलग जगहों पर फेंक दिया था. इसके साथ ही उसने हत्याकांड से जुड़े अन्य सबूतों को भी नष्ट किया है. इसको लेकर पिछले दस दिनों से पुलिस आफताब से पूछताछ कर रही है लेकिन वह पुलिस को सही जानकारी नहीं दे रहा है. इस वजह से पुलिस की जांच उलझती जा रही है. ऐसे में पुलिस पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के जरिए आफताब से कुछ ऐसे सवालों की सच्चाई जानना चाहती है ताकि जांच को सही दिशा मिल सके और हत्याकांड से जुड़े पुख्ता सबूत जुटाए जा सकें. साथ ही, आफताब को सजा दिलाने के लिए तर्क और सबूतों की कड़ियों को जोड़ा जा सकता है.
नार्को टेस्ट का कानूनी पहलू
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आरोपी का नार्को-एनालिसिस और पॉलीग्राफ टेस्ट अवैध है. हालाँकि, आपराधिक मामलों में अदालतों ने कई मामलों में अभियुक्तों की सहमति से और कुछ सुरक्षा उपायों के साथ इसकी अनुमति दी है. अनुमति दिए जाने के लिए जांच एजेंसी के लिए परीक्षण के कानूनी, भावनात्मक या शारीरिक निहितार्थ होने चाहिए.
इस संबंध में संबंधित जांच एजेंसी को मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने दावों से संबंधित साक्ष्य मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होता है. न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 20(3) के अनुसार, किसी अभियुक्त को कभी भी स्वयं के विरुद्ध गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, नार्को एनालिसिस की सटीकता 100% नहीं होती है.
ऐसे होता है नार्को एनालिसिस टेस्ट
नार्को एनालिसिस टेस्ट में आरोपी से अर्ध बेहोशी की हालत में पूछताछ कर सच्चाई का पता लगाया जाता है. इसमें व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम की साइकोएक्टिव दवा दी जाती है. जैसे ही यह दवा खून में पहुंचती है, आरोपी अर्धचेतन अवस्था में पहुंच जाता है. हालांकि, कई मामलों में सोडियम पेंटाथोल का इंजेक्शन भी दिया जाता है. जांच के दौरान फोरेंसिक विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और डॉक्टर मौके पर मौजूद रहते हैं.
यह है पॉलीग्राफ टेस्ट
पॉलीग्राफ टेस्ट में आरोपी के शरीर में कार्डियो-कफ या संवेदनशील इलेक्ट्रोड जैसे अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाते हैं. इन उपकरणों के माध्यम से रक्तचाप, शरीर के कंपन, श्वसन, पसीने की मात्रा में परिवर्तन और रक्त प्रवाह आदि को मापा जाता है. जब अपराध से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं तो झूठ बोलने से शरीर के कुछ हिस्सों में अलग-अलग कंपन और संचार पैदा होता है. इस आधार पर मूल्यांकन करने पर आरोपी को बताया जाता है कि वह झूठ बोल रहा है. इसके लिए उनसे फिर कई तरह के सवाल पूछे जाते हैं. यह प्रक्रिया इस धारणा पर आधारित है कि जब अभियुक्त झूठ बोलता है तो उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाएँ सामान्य स्थिति में उत्पन्न होने वाली प्रतिक्रियाओं से भिन्न होती हैं.
पुलिस ये सवालों के ढूंढ रही जवाब
- श्रद्धा वालकर की आफताब से दोस्ती कब और कैसे हुई?
- किस बात को लेकर दोनों के बीच झगड़ा होता था?
- मुंबई से हिमाचल प्रदेश घूमने जाने के पहले ही उसने दिल्ली में जाकर रहने का प्लान क्यों किया था?
- दिल्ली में 9 दिन रहने के बाद ऐसा क्या हुआ, जिससे उसने श्रद्धा की हत्या कर दी?
- सिर को कहां पर फेंका, इस तरह क्रूर तरीके से हत्या करने की बात मन में क्यों आई?
- श्रद्धा के कपड़े व मोबाइल कहां पर है?
- वह आरी जिससे शव के टुकड़े किए?