चंडीगढ़ | हरियाणा में सीएम मनोहर लाल के नेतृत्व वाली BJP-JJP गठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी अपने कोटे के तीन मंत्रियों को बदलने की प्लानिंग कर रही है. पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद सभी मंत्रियों का रिपोर्टकार्ड तैयार किया गया था, जिसके बाद ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी कोटे से तीन मंत्री अपनी कुर्सी गंवा सकते हैं.
सीएम मनोहर लाल सभी मंत्रियों की रिपोर्ट दिल्ली दरबार में पेश कर चुके हैं, जिसके बाद जानकारी मिल रही है कि बीजेपी कोटे के तीन मंत्री संदीप सिंह, कमल गुप्ता और कमलेश ढांडा की परफॉर्मेंस खराब है. हालांकि, अभी बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व गुजरात विधानसभा चुनावों में व्यस्त हैं और उसके बाद ही इन मंत्रियों की कुर्सी पर अंतिम फैसला लिया जाएगा. अगर ये मंत्री अपनी कुर्सी गंवाते हैं तो इनकी जगह नए चेहरों को मनोहर कैबिनेट में शामिल किया जाएगा.
तीनों मंत्रियों की कुर्सी गंवाने की वजह
संदीप सिंह: मनोहर लाल कैबिनेट में खेल मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे संदीप सिंह प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं. अपने विधानसभा क्षेत्र तक मौजूदगी और खेलों को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस योजना नहीं लाना उनके मंत्री पद गंवाने की बड़ी वजह बन सकती है. बतौर खेल मंत्री संदीप सिंह पहले से चल रही और प्रस्तावित योजनाओं को भी अमलीजामा पहनाने में कामयाब नहीं हो पाए हैं.
कमल गुप्ता: करीब एक साल पहले शहरी निकाय मंत्री की कुर्सी संभालने वाले हिसार से बीजेपी विधायक कमल गुप्ता भी अभी तक अपनी कोई खास मौजूदगी दर्ज नहीं करा पाए हैं. उनकी परफॉर्मेंस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. अपने विभाग में वो ऐसा कोई विशेष कार्य नहीं कर पाए हैं जिससे जनता के बीच उनकी पहचान बनें. हाल ही में प्रदेश में दिवाली पर सफाई कर्मियों की हड़ताल से वक्त पर निपटने में भी कामयाब नही हुए थे जिसके बाद उनकी काफी किरकिरी हुई थी.
कमलेश ढांडा: महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा भी सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सिमट कर रह गई है. अपने कार्यकाल में महिलाओं के उत्थान को लेकर उन्होंने कोई विशेष योजना नहीं बनाई है. साथ ही, उन पर आरोप लग रहे हैं कि उनके विभाग का काम उनका बेटा संभालता है.
मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड में यह खामियां
इनके रिपोर्ट कार्ड में सबसे बड़ी खामी यह है कि तीनों मंत्री CM के निर्देश के बाद भी सचिवालय में नियमित उपस्थिति नहीं दे रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मंत्री अपने स्तर पर भी विभागों में अभी तक कोई बड़ा फैसला नहीं कर पाए हैं. फिलहाल, जजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी नही चाहती कि इन मंत्रियों की खराब परफारमेंस से पार्टी को नुकसान झेलना पड़े. अगर ऐसा ही रहा तो 2024 के विधानसभा चुनाव में फिर समर्थन की बैसाखी पकड़नी पड़ेगी, जो बीजेपी कतई नहीं चाहेगी.
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