नई दिल्ली, World AIDS Day | 1 दिसंबर यानि आज विश्व एड्स दिवस है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एड्स लाइलाज बीमारी है लेकिन समय रहते अगर इसका इलाज शुरू कर दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है. कुछ सावधानियां बरती जाए तो एड्स रोगी भी एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकता है. एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनों डिफिशिएंसी सिंड्रोम) HIV वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त के सम्पर्क में आने से होने वाली बीमारी है.
स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ राम एस उपाध्याय ने बताया कि बीमारियों से लड़ने और स्वस्थ रहने के लिए शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता होना बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि HIV वायरस रोग प्रतिरोधक क्षमता को ही प्रभावित करता है. संक्रमित व्यक्ति एक निश्चित अंतराल पर टेस्ट करवाते रहे और अपने आसपास बने सेंटर पर इसके इलाज में एंटी रेट्रोवाइटल थेरेपी और जो दवाइया दी जाती है उसके सेवन से लंबी जिंदगी जी सकते हैं. संक्रमित व्यक्ति को अनुशासित ढंग से चलना होगा और अपनी इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान देना होगा.
डॉ राम एस उपाध्याय ने बताया कि इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने की वजह से विभिन्न बीमारियों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही, शरीर के अन्य अंग भी धीरे- धीरे प्रभावित होने लगते हैं. यह वायरस संक्रमित मां से जन्म लेने वाले बच्चे में भी फैल जाता है. उन्होंने बताया कि एड्स स्वयं में कोई बीमारी नहीं है लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति बीमारियों से लड़ने की प्राकृतिक ताकत खो बैठता है. HIV पॉजिटिव होने के ज्यादातर मामले असुरक्षित यौन संबंध के चलते ही सामने आए हैं.
एड्स के लक्षण
HIV के लक्षण बेहद सामान्य है जिनपर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं और नजरअंदाज कर देते हैं. भूख में कमी, हमेशा थकान रहना, नींद आना, रात में सोते समय पसीना आना, तेज बुखार, दस्त लगना व वजन घटना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है.
एड्स फैलने के कारण
असुरक्षित यौन संबंध बनाना इस बीमारी के फैलने की सबसे बड़ी वजह है. इसके अलावा संक्रमित रक्त चढ़ाने व संक्रमित सुई का इस्तेमाल करने से भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है.
एड्स का इलाज
इस बीमारी का स्थाई इलाज नहीं है लेकिन संक्रमण को कम करने व रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए एंटी वायरल व संक्रमित व्यक्ति की स्थिति के अनुसार दवाएं दी जाती है. डॉ राम एस उपाध्याय ने बताया कि इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति से दूर भागने की नहीं बल्कि उनके प्रति संवेदनशीलता अपनाने की जरूरत है. संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठने, खाना खाने या फिर हाथ मिलाने से यह बीमारी नहीं फैलती है.
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