नई दिल्ली । इन दिनों किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है. हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली में 3 दिनों से डेरा डाल रखा है. दुष्यंत चौटाला लगातार किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों से भेंट कर रहे हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से सोमवार को भेंट की. वे इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी भेंट कर चुके हैं.
उपमुख्यमंत्री कर रहे हैं केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रेस मीडिया में बताया कि वह लगातार केंद्रीय कृषि मंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री से वार्तालाप कर रहे हैं. मुझे पूरी आशा है कि कुछ दिनों में ही किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच सातवीं बैठक में चर्चा हो सकती है. काफी केंद्रीय मंत्री व्यक्तिगत रूप से किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट कर रहे हैं. आशा है कि जल्द ही किसानों की सभी मांगों पर आम सहमति बन जाएगी.
किसान बदलें अपना अड़ियल व्यवहार
जब दुष्यंत चौटाला से यह प्रश्न किया गया कि इसका समाधान कब तक निकलेगा तो उन्होंने जवाब दिया, “समाधान तो चर्चा करने से ही निकलेगा. इस तरह अड़े रहने से तो कोई समाधान नहीं निकलेगा. केंद्र सरकार भी छोटे-मोटे मसलों पर झुकने के लिए तैयार हैं. इसलिए किसान संगठनों को भी किसानों का फायदा देखते हुए अपनी तरफ से एक कदम पीछे लेना चाहिए ताकि किसानों का फायदा हो, उनका नुकसान ना हो”.
किसान अपनी जिद छोड़ें तभी समस्या का समाधान होगा
लगातार हो रही चर्चाओं के बाद भी समाधान न निकलने पर जब प्रश्न किया गया तो दुष्यंत चौटाला ने कहा, “टसल और हनक से कभी भी बातें नहीं मनवाई जा सकती. कोई भी बात आपस में चर्चा करने से ही मनवाई जा सकती है. आरंभ में मेरे पास जो इनपुट आए थे उनके अनुसार किसान इन कानूनों में संशोधन करना चाहते थे. किसानों की मांग है कि MSP लिखित में आनी चाहिए. केंद्र सरकार भी इस बात को मानने के लिए तैयार हो गई है. किसान आंदोलन को चलते हुए 18 दिन हो गए हैं. कौन जानता है कि यह आंदोलन कब तक चलेगा. इसलिए शांतिपूर्वक चर्चा की जाए तभी किसानों का भला होगा”.
विपक्ष कर रहा दुष्यंत चौटाला पर हमला
अब विपक्षी दल भी दुष्यंत चौटाला को निशाने पर ले रहे हैं. वैसे भी दुष्यंत चौटाला पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर किसानों को MSP नहीं मिली और किसानों को नुकसान हुआ तो वे स्वयं ही अपनी कुर्सी को छोड़ देंगे.
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