नई दिल्ली | हरियाणा व दिल्ली की सीमा पर नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रर्दशन (Kisan Aandolan) कर रहे किसानों ने अब घेराबंदी को अब गति दे दी है. ऐसे में अब कानूनों के हिमायती किसानों ने भी अब दिल्ली की ओर रुख कर अब वहां डेरा डाल दिया है. वे हर रोज केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत कर इन्हें रद्द न करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं, परंतु लागू किए गए इन नियमों के समर्थन में भी एक बड़ी संख्या ने लोग मौजूद होने से आंदोलन कर रहे किसानों पर इस मामले में दबाव बढ़ रहा है.
अब आंदोलन (Kisan Aandolan) उनके लिए साख का सवाल बन कर उभर आया है. ऐसे में किसान संगठनों ने आंदोलन को एक सफल मोड़ देने के लिए ही अब गोपनीय बैठकों का आयोजन किया है और साथ ही साथ इस मामले मे अब गहनता से विचार -विमर्श करना भी शुरू कर दिया गया है. ऐसे में अब संगठनों के मुख्य नेताओं ने भी आपसी संवाद को बढ़ा दिया है. यही कारण है कि अब वार्ता का मुख्य केंद्र यही बनता जा रहा है कि आंदोलन को अब किसी भी हालत में सफलता के अंजाम तक कैसे और किस प्रकार से पहुंचाया जाए.
भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने युवाओं व किसानो से शांति बनाए रखने की अपील
दरअसल, आंदोलन के लंबा खिंचने की वजह से इसे देश के विरोध में काम कर रही ताकतों व साथ ही साथ में राजनीतिक छाप से बचा पाना भी अब किसान संगठनों के सामने बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी जी, नेता कर्म सिंह जी मथाना, प्रेस प्रवक्ता राकेश बैंस जी ने स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि आंदोलन में दरार डाल कर उसके टुकड़े करने जैसी कोई भी साजिश सफल नहीं होगी. यह आन्दोलन किसान ने अपनी जमीन को बचाने के लिए छेड़ा है. अब इस अहम आन्दोलन को सिरे चढ़ाए बिना किसान अब अपने घर की ओर वापिस किसी भी हालत में निराश होकर नहीं लौटेगा. अंत में उन्होने वार्ता को विराम देते हुए कहा कि ‘आंदोलन में शामिल सभी किसानों व नौजवानों से अपिल है कि वे किसी के बहकावे में न आए, क्योंकि उन्हे केवल शांति बनाए रखते हुए अपने आन्दोलन को सिरे चढ़ाना है’.
एस वाई एल (SYL) का मुद्दा उठाकर पंजाब को घेरने की बनी रणनीति
हरियाणा की ओर प्रतिदिन एक बड़ी संख्या में किसान रूख करते नजर आ रहे हैं. यह किसान, सरकार द्वारा लागू किए गए नए कानूनों के समर्थन में आ रहे हैं. बीते सोमवार को हरियाणा युवा किसान संघर्ष समिति के सदस्य दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर जी से मुलाकात कर, वार्ता करने के पश्चात अपनी मांगें रखते नज़र आए. ऐसे में समिति अध्यक्ष व अटेली विधानसभा से पूर्व विधायक नरेश यादव ने केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर के सामने एस वाई एल यानी (सतलुज- यमुना लिंक नहर) को बनवाने के लिए और साथ ही साथ में पंजाब से पानी दिलवाने के मुद्दे पर अपनी आवाज़ को बुलंद किया है.
इस मामले को पंजाब सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के मुताबिक़ भी देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिलहाल किसान आंदोलन के प्रमुख अगुवा पंजाब के किसान ही हैं. ऐसे में तोमर के समक्ष मांग रखी गई है कि एस वाई एल का निर्माण केंद्र सरकार को करवाना चाहिए और हरियाणा को उसके हिस्से का पानी भी दिलवाना चहिए.
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