चंडीगढ़ | हरियाणा प्रदेश द्वारा की गई दशकों की मेहनत रंग लाई है. प्रदेश का वाटर एटलस तैयार हो गया जिसे सरकार नई साल से पहले लांच करने जा रही है. इसके माध्यम से अब प्रति वर्ष प्रदेश के गिरते भूजल स्तर की जानकारी उपलब्ध कराई जा सकेगी. इसके साथ ही 5 वर्षों में वाटर डिमांड- सप्लाई का डाटा भी तैयार होगा. मिट्टी के कटाव और बारिश के पैटर्न जैसी जानकारी भी अब एटलस के जरिए हासिल की जा सकेगी.
HWRA बना रहा एटलस
एटलस तैयार करने का जिम्मा हरियाणा जल प्राधिकरण (HWRA) को सौपा गया था. अब प्राधिकरण एक्विफर (जल धारण करने वाली चट्टान की भूमिगत परत) का मानचित्र बना रहा है और इस काम में हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (HARSAC) भी सहयोग कर रहा है. बता दें कि एटलस के माध्यम से किसानों को उनके क्षेत्र में जलस्तर को समझने में काफी मदद मिलेगी.
एटलस में होगा 5 सालों का डाटा
हरियाणा के वाटर एटलस में आने वाले पांच सालों का पानी की मांग और आपूर्ति का पूरा डाटा फीड होगा. इसमें हर गांव के हर परिवार को पानी की जरूरत के साथ गांव में पानी के स्त्रोतों को भी उल्लेख किया जाएगा. यह डाटा पानी के अंतर को मैप करने और अपशिष्ट जल को दोबारा उपयोग करने के तरीकों पर रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा.
हर साल एक मीटर गिर रहा है भूजल
बता दें कि हरियाणा गठन के बाद से ही भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. प्रति वर्ष राज्य का भू-जल स्तर 1 मीटर गिर रहा है. हरियाणा में भूजल स्तर का औसत 21.65 मीटर है. वहीं, प्रदेश के जिलों में भूजल स्तर की बात करें तो कुरुक्षेत्र में यह 42.4 मीटर, करनाल में 22.2 मीटर, कैथल में 32.95 मीटर तक नीचे जा चुका है जबकि महेंद्रगढ़ में भू-जल सबसे ज्यादा चिंता का विषय है जो 48.36 मीटर तक नीचे जा चुका है.
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