Kisan Aandolan: दूसरे दिन भी करनाल के प्योंत और बसताड़ा टोल को किसानों ने रखा टैक्स फ्री, सवा करोड़ की लगी चपत

करनाल | केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन (Kisan Aandolan) करते हुए इलाके के किसानों ने बीते शनिवार को भी करनाल व जींद स्टेट हाईवे पर प्योंत गांव के नज़दीक स्थित टोल टैक्स प्लाजा को फ्री करवाए रखा था. ऐसे में पूरा दिन वहां से वाहन बिना टैक्स का शुल्क दिए ही गुजरते रहे.

दरअसल, किसान बीते शुक्रवार की सुबह से ही इस टोल पर डेरा डालकर वही बैठे हुए हैं. इस टोल प्लाजा की बात करें तो यहां से लगभग दो से ढाई हजार तक वाहन हो कर गुजरते हैं और अगर आमदनी की बात की जाए तो लगभग तीन से चार लाख रुपये तक एक दिन में लोगों से टोल टैक्स के बहाने वसूली जाती है. ऐसे में अब दो दिन के भीतर अब तक करीब आठ लाख का चूना, इस टोल प्लाजा को लग चुका है.

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Kisan Andolan Farmer Protest

नहीं सहा जा रहा है अब सरकार का अड़ियल रवैया

किसानों द्वारा दिए जा रहे इस धरने पर असंध से किसान नेता जगदीश झिंडा जी व भाकियू जिला प्रधान यशपाल राणा जी भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवाने के लिए पहुंचे थे. वहां उन्होंने स्पष्ट रूप से अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि सरकार अपने अड़ियल बरताव की वजह से जनता से विश्वास खो रही है. जहां पर एक ओर पूरे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता यानी यह किसान कड़के की ठंड में सड़कों पर बैठा है, वहीं दूसरी तरफ देश के नेता अपने आलीशान महल जैसे बंगलों में आराम फरमा रहे हैं. अब बात किसान के हक की है और अब अपना हक लिए बिना वह सड़कों से नहीं उठेंगे.

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दो दिन बसताड़ा टोल फ्री से लगभग सवा करोड़ की लगी चपत

घरौंडा, मधुबन के नज़दीक दिल्ली व चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसताड़ा के पैसे टोल टैक्स प्लाजा को अब लगातार दूसरे दिन यानी शनिवार को भी किसानों ने फ्री ही रखा. ऐसे में इसके बन्द रहने से सरकार को लगभग सवा करोड़ का घाटा हुआ है. वर्तमान समय में अब बसताड़ा टोल पर धरना दे रहे किसानों ने अपना पक्ष रखते हुए साफ़ कहा है कि सरकार उन पर जबरदस्ती इन नए कृषि कानूनों को थोप रही है, जिसे अब किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

किसानों में सरकार के खिलाफ बढ़ रहा है आक्रोश

भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष अजय राणा जी ने संवाददााओं से अपनी बात रखते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन लंबा चलने की वजह से उन्हें उनके व्यापार और बाकि काम काज को लेकर भी अब अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में किसान अब न ही अपनी खेती की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे और न ही अपने काम पर और यहां सरकार इतना सब कुछ देखने के बावजूद अभी भी मौन धारण कर चुपचाप तमाशा देख रही है.

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अब अगर इस मामले पर गहनता से विचार किया जाए तो यही मुख्य कारण है कि किसानों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि आंदोलन में शामिल हुए अब कितने किसान शहीद हो गए हैं परंतु सरकार को कोई परवाह नहीं है.

 

 

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