कैथल । पंचायत फंड से गांव के विकास पर जो राशि खर्च होने वाली थी, उसको लेकर सरकार ने रोक लगा दी है. जिला विकास एवं पंचायत विभाग के डायरेक्टर की तरफ से चिट्ठी भेजी गई थी. जिससे सरपंचों में हड़कंप मच गया. सरपंचों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते पहले ही गांव का विकास रुका पड़ा है.
अधूरे पड़े काम को पूरा करने की टेंशन
अब गांव में पड़े अधूरे कार्यों को कैसे पूरा किया जाएगा. सरकार द्वारा यह चिट्ठी इसलिए जारी की गई. क्योंकि अभी कार्यकाल समाप्त की ओर है, जिसकी वजह से पंचायत फंड की राशि को गलत प्रयोग न कर सके. बता दें कि जिले में कुल 278 ग्राम पंचायतें हैं. इनमें से कुछ ग्राम पंचायत ऐसी है जिनके पास लाखों की आमदनी गांव की जमीन से होती है. पंचायत फंड में जो भी राशि इकट्ठा की जाती है. उस राशि को गांव के सरपंच द्वारा गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है.
सरपंचों ने बताया सरकार का यह फैसला बिल्कुल गलत है
गांव रोहेडिया के सरपंच रामफल सैनी, देवबन गांव के सरपंच राजेंद्र सिंह, कुतुबपुर गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुनील कुमार ने बताया कि पंचायतों का पैसा खर्च करने के लिए सीईओ से अनुमति लेनी होगी, जो कि एक अलग विभाग है. अब पंचायतों को लेकर बीडीओ बिठाए गए हैं, तो इसमें सीईओ की अनुमति लेने का क्या औचित्य है.यह सरासर गलत कदम उठाया गया है. सरपंच इसका पूरी तरह से विरोध करते हैं और साथ ही सरकार से मांग करते हैं कि वह इस कदम को वापस ले.
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