आज की इस ट्रिक से शुरू करें खेती, लाखों की जगह होगा करोड़ों का फायदा; 10 एकड़ मे 100 एकड़ के समान पैदावार

नई दिल्ली, Business Idea | मौजूदा दौर में जिस प्रकार आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है, इससे खेती का आकार सिकुड़ता जा रहा है. ऐसे में अब वह दिन दूर नहीं है जब तमाम फल और सब्जियां खेतों के बजाय फैक्ट्रियों में उगाई जाने लगेगी. इजरायल ने एक नई टेक्नोलॉजी के जरिए खेती करनी शुरू कर दी है, इसका नाम वर्टिकल फार्मिंग है. अब भारत में भी इसी टेक्नोलॉजी के जरिए खेती की शुरुआत हो चुकी है. महाराष्ट्र की एक कंपनी की तरफ से ऐसा ही एक प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इसमें हल्दी की खेती की जा रही है. यह वर्टिकल फार्मिंग एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें अगर आप 1 एकड़ में खेती करते हैं तो इसकी पैदावार 100 एकड़ के बराबर होती है.

Haldi

इस टेक्नोलॉजी के जरिए करें खेती

इस टेक्नोलॉजी के जरिए फसल उगाने में आपको ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती. वर्टिकल फार्मिंग के लिए एक बड़ा सेट बनाना होता है, जिसका तापमान 12 से 26 डिग्री सेल्सियस रखा जाता है. उसके बाद, उसमें करीब 2 से 3 फुट लंबे और चौड़े कंटेनर्स में वर्टिकल तरीके से पाइप सेट किए जाते हैं और इसके ऊपर का हिस्सा खुला हुआ रखा जाता है, जिसमें हल्दी की खेती होती है.

वैसे तो अधिकतर लोग वर्टिकल फार्मिंग हाइड्रोपोनिक या एक्वापोनिक तरीके से करते हैं. इसे जमीन पर नहीं किया जाता लेकिन इसमें मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. तापमान को कंट्रोल करने के लिए फॉगर्स लगाए जाते हैं, जो तापमान बढ़ते ही पानी का फुहारा बरसाने लगते हैं. जिसके बाद तापमान सामान्य हो जाता है.

वर्टिकल फार्मिंग के फायदे

यदि वर्टिकल फार्मिंग के जरिए हल्दी उगानी है तो 10- 10 सेंटीमीटर की दूरी पर जिग- जैग तरीके से हल्दी के बीज बोए जाते हैं. इसके पत्ते किनारे की जगह से बाहर निकल जाते हैं. हल्दी को अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती. इसकी पैदावार छाया में ज्यादा अच्छी होती है. 9 महीनों में हल्दी की फसल तैयार हो जाती है.

हार्वेस्टिंग के तुरंत बाद दोबारा हल्दी लगाई जा सकती है यानी कि 3 साल में आप चार बार हल्दी की फसल उगा सकते है. इसमें खेती करने के लिए आपको मौसम पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. आप जब चाहे तब खेती कर सकते हैं. यह खेती पूरी तरह से बंद जगह में होती है, इसी वजह से कीट पतंगों से नुकसान या बारिश या आंधी तूफान से नुकसान की आशंका भी नहीं रहती.

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