चंडीगढ़ | हरियाणा में सरकार और नए चुनें सरपंचों के बीच ई- टेंडरिंग का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बता दें कि हरियाणा सरकार ने तय किया है कि हर गांव में अब 2 लाख से ऊपर के कामों की ई-टेंडरिंग होगी. इसका सरपंच विरोध कर रहे हैं कि वह अपने स्तर पर गली-नाली तक नहीं बना सकते. गांव में विकास कार्यों की रफ्तार धीमी होगी तो ग्रामीणों की जवाबदेही कौन करेगा. ई- टेंडरिंग को लेकर प्रदेश भर में उठे बवाल के बीच डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां व बाढ़डा से विधायिका नैना चौटाला ने एक बयान जारी कर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है.
सरपंचों की आवाज करेंगे बुलंद
नैना चौटाला ने कहा कि सरपंचों को 2 लाख रुपए तक के काम करवाने की पॉवर देने का फैसला बिल्कुल भी सही नहीं है. दो लाख में क्या होता है. जीएसटी वगैरह कटने पर सरपंच के पास डेढ़ लाख रूपए बचेंगे और इस रकम में आप शौचालय भी नहीं बनवा सकते हैं. गांव का विकास करवाना तो बहुत दूर की बात हो जाएगी.
नैना चौटाला ने कहा कि वो प्रदेश सरकार से मांग करती है कि जो पॉवर सरपंचों के पास पहले थी. वहीं, उन्हें वापस दी जाए और इसके लिए वो सीएम, डिप्टी सीएम और पंचायत मंत्री से बात कर सरपंचों की आवाज बुलंद करने का काम करेगी. वो गठबंधन सरकार के इस फैसले के बिल्कुल खिलाफ है और सरपंचों के समर्थन में उतर कर उनका साथ देने के लिए सदैव तत्पर है.
ई- टेंडरिंग को लेकर मचा हुआ है बवाल
बता दें कि पंचायतों को दो लाख रुपए से अधिक के कार्य ई- टेंडरिंग के माध्यम से करवाने के फैसले पर पूरे हरियाणा के सरपंच विरोध कर रहे हैं. अनेक कार्यक्रमों में पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली को सरपंचों के विरोध का सामना करना पड़ा है. खुद पंचायत मंत्री देवेन्द्र बबली के निर्वाचन क्षेत्र टोहाना के गांव समैन में तो ग्रामीणों ने सरपंचों के हक में आवाज उठाते हुए मंत्री के गांव में घुसने पर ही विरोध प्रदर्शन किया था. जिसके बाद, पूरे गांव को पुलिस छावनी में तब्दील करना पड़ा था.
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