चंडीगढ़ | हरियाणा में अस्थायी रूप से मान्यता प्राप्त 1,338 स्कूलों के 10वीं और 12वीं कक्षा के 60 हजार विद्यार्थियों की लंबित बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री मनोहर लाल लेंगे. शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर खुद इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात करेंगे. सोमवार को शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर व निजी स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. एसोसिएशन ने मंत्री को आश्वासन दिया है कि जब तक स्कूल मानदंडों को पूरा नहीं करते तब तक वह शेष कक्षाओं में कोई नया प्रवेश नहीं देगा. इसी शर्त पर शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री से बात करेंगे.
राज्य में ऐसे विद्यालयों की संख्या 1338
राज्य में अस्थाई रूप से मान्यता प्राप्त विद्यालयों की संख्या 1338 है. इन विद्यालयों में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. इन स्कूलों को 2003 से हर साल अस्थायी मान्यता मिल रही है लेकिन 2021 में हरियाणा सरकार ने नियमों को पूरा किए बिना अस्थायी मान्यता देने से इनकार कर दिया.
10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों की बोर्ड परीक्षा होनी है लेकिन अब तक बोर्ड परीक्षा के लिए उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है. इससे 60 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. इस बाबत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शीतकालीन सत्र में विधानसभा में इन छात्रों का भविष्य सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया था.
चंडीगढ़ में हुई बैठक में एसोसिएशन और शिक्षा मंत्री के बीच काफी देर चली. बैठक में निजी स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने छात्रों के परीक्षा में शामिल नहीं हो पाने की समस्या रखी है. इस पर शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह कोशिश करेंगे कि किसी भी बच्चे का भविष्य खराब न हो लेकिन भविष्य में स्कूलों को नियमों का पालन करना होगा. एसोसिएशन पर रोक के बाद अब कंवरपाल इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे. साथ ही अगले सप्ताह एसोसिएशन फिर से शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर नियमों को पूरा करने में आ रही दिक्कतों से अवगत कराएगी.
शिक्षा मंत्री के साथ फिर होगी बैठक
बैठक के बाद प्राइवेट वेलफेयर स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि परीक्षा का मामला है. मुख्यमंत्री से बात कर बच्चों की परीक्षा कराई जाएगी. अगले साल नियमों को पूरा करना होगा. इसे लेकर हमें जो भी दिक्कत है हमने सरकार के सामने रखी है. सौहार्दपूर्ण माहौल में शिक्षा मंत्री से बातचीत हुई. एक सप्ताह के भीतर हम फिर से शिक्षा मंत्री के समक्ष अपनी मांग रखेंगे.
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