नई दिल्ली | कपास की फसल आय के हिसाब से खरीफ सीजन में किसानों के लिए बहुत जरूरी है. किसान वही फसल अधिक लगाते है, जिनसे अधिक उत्पादन और पैसा कमा सकें. महाराष्ट्र के किसानों के लिए कॉटन ऐसी ही फसल साबित हो रही है.
इस साल कपास की बुवाई करने वाले किसानों को बढ़िया दाम मिले है. स्टेपल कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6025 रुपये प्रति क्विंटल रहा है. जबकि खुले बाजार में इसके दाम 12000 से 13000 रुपये प्रति क्विंटल का चल रहा है. ऐसे में इस बार किसान सोयाबीन से ज्यादा सफेद सोने यानी कॉटन की खेती पर जोर दे रहे हैं.
पिछले साल प्रकृति के कहर से फसलों को भारी नुकसान हुआ था. वहीं बारिश की वजह से कपास और सोयाबीन पर सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था. कपास के कम रेट के कारण भी किसानों को भरी नुकसान झेलना पड़ा था. इसके बाद किसानों ने कपास का भंडारण करने पर जोर दे दिया था, जिसका उन्हें सीजन के अंतिम दौर में बहुत फायदा मिला है. उन्हें उम्मीद है कि इस सीजन में भी कॉटन का दाम बढ़िया मिलेगा.
कृषि विभाग का अनुमान है कि वैश्विक बाजार में बढ़ती हुई मांग और मौजूदा कीमत को देखते हुए किसान इस साल कपास पर बहुत अधिक ध्यान देंगे. रकबे में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए कृषि विभाग ने उचित योजना बनाई है. कृषि विभाग ने दावा किया है कि पर्याप्त बारिश होने से इस साल सोयाबीन के साथ कपास की खेती का रकबा भी बढ़ जाएगा. रिकॉर्ड दाम भी इसकी सबसे बड़ी वजह है.
क्या कहना है कपास के किसानों का
सीजन की शुरुआत में कपास का दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक ही था, जिसके बाद किसानों ने कपास को बेचने की बजाय भंडारण पर ध्यान ज्यादा दिया. अब रिकॉर्ड रेट मिलता देखकर किसान खरीफ में सबसे ज्यादा कपास की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. खानदेश क्षेत्र के किसान कृष्ण पाटिल का कहना है कि पिछले कुछ सालों से इसकी खेती में बहुत कमी आई है, जिसका मुख्य एक कारण गुलाबी सुंडी कीट भी हैं. ये कीट फसलों को पूरी तरह से नष्ट भी कर देते थे, जिससे किसानों को भारी नुकसान भी हुआ.
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