नई दिल्ली | सूरजमुखी की खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में व्यापक रूप से की जाती है. जिसकी खेती साल में 3 बार की जा सकती है. जो मानसून आने पर, रबी में 15 नवंबर से 30 दिसंबर तक और बसंत कालीन बुआई 15 जनवरी से 10 फरवरी तक की जाती है. गौरतलब है खरीफ के सीजन की शुरुआत हो चुकी है. वैसे तो इस सीजन में अधिकतर किसान धान और मक्के की खेती करते नजर आते हैं. लेकिन कुछ समय से किसानों की दिलचस्पी सूरजमुखी की खेती की तरफ बढ़ रही है. वहीं, भारत सरकार भी इन फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाओं को बढ़ावा दे रही है.
किन राज्यों में होती है सूरजमुखी की खेती
बता दें कि सूरजमुखी को तिलहन फसलों की श्रेणी का माना जाता है. इसकी खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में व्यापक रूप से की जाती है. इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी और काली मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस मिट्टी का पीएच 6.5 और 8.0 के बीच होना जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सूरजमुखी के पौधे से तेल निकालने के अलावा इसका उपयोग दवाओं में भी किया जाता है. इसलिए यह खेती कमाई का एक अच्छा साधन है क्योंकि किसान इस फसल से कम लागत, कम वक्त में लाखों का मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
सिंचाई के वक्त किन बातों का रखें ध्यान
- सूरजमुखी के बीज लगाने से पहले उसका उपचार करना बेहद जरूरी है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर कोई बीज खराब होगा तो उससे सारी फसल खराब हो सकती है.
- खेती करते वक्त इस फसल को तकरीबन 9 से 10 सिचांइयों की जरूरत होती है, ताकि ये पूर्ण रुप से खिल सके.
- सूरजमुखी की फसल तभी काटे जब इसके सभी पत्ते सूख जाएं.
- ध्यान रहे हमेशा समय पर ही इसकी कटाई करें वरना इस पर दीमक का हमला हो सकता है.