नई दिल्ली | रबी सीजन की फसलों का जिक्र करें तो यहां प्रमुख नकदी फसलों में गेहूं की गिनती सबसे ऊपर होती है. गेहूं की गिनती प्रमुख खाद्यान्न फसलों में तो होती ही है साथ ही, देश में इसका उत्पादन और खपत बहुत अधिक मात्रा में होता है. भारतीय गेहूं देश के साथ-साथ दुनिया के बहुत से देशों में निर्यात की जाती है. ऐसे में किसानों की भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह अच्छी गुणवत्ता वाला अनाज उगाएं.
हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई ऐसी किस्में विकसित की है जो कम समय और कम खर्च में अच्छी गुणवत्ता के साथ बंपर पैदावार भी देती है. इन किस्मों में पूसा तेजस (Puja Tejas Wheat) गेहूं शामिल है, जिसे साल 2016 में इंदौर कृषि अनुसंधान केन्द्र ने विकसित किया था. पैदावार के मामले में यह किस्म किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.
पूजा तेजस गेहूं
- इस किस्म का वैज्ञानिक नाम HI-8759 है जो रोटी और बेकरी उत्पादों के साथ-साथ नूडल, पास्ता और मैक्रोनी जैसे उत्पादों को बनाने के लिये सर्वोत्तम मानी जाती है.
- गेहूं की ये उन्नत किस्म आयरन, प्रोटीन, विटामिन-ए और जिंक जैसे पोषक तत्वों का खजाना है. वहीं, इस किस्म में गेरुआ रोग, करनाल बंट रोग और गिरने की संभावना भी नहीं रहती.
बुवाई का समय
पूसा तेजस गेहूं की बुवाई के लिये 10 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना गया है. इस दौरान प्रति एकड़ के लिये 50 से 55 किलोग्राम बीज, प्रति हेक्टेयर के लिये 120 से 125 किलोग्राम बीज और प्रति बीघा के हिसाब से 20 से 25 किलोग्राम बीजदर का प्रयोग करना चाहिए.
इस तरह करें खेती
- इस किस्म की बुआई करने से पहले खेत को गहरा जोत कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद गोबर की खाद और खरपतवार नियंत्रण दवाओं का मिट्टी में छिड़काव करें ताकि फसल में खरपतवार उगने की संभावना ना के बराबर हो. इस किस्म की बुआई से पहले बीजों का अच्छी तरह से उपचार कर लें. इसके लिये कार्बोक्सिन 75 प्रतिशत या कार्बनडाजिम 50 प्रतिशत 2.5-3.0 ग्राम दवा से प्रति किलोग्राम बीजों का उपचार करना चाहिए.
- सीड ड्रिल मशीन से बुआई करते हुए लाइनों के बीच 18 से 20 सेमी और 5 सेमी गहराई में बीजों की बुवाई करनी चाहिए.
- यदि खेत या फसल में कभी कण्डवा रोग का इतिहास रहा हो तब भी बीजो को 1 ग्राम टेबुकोनाजोल या पीएसबी कल्चर 5 ग्राम से प्रति किलो बीज का उपचार कर लेना चाहिए.
फसल प्रबंधन और देखभाल
- वैसे तो पूसा तेजस अपने आप में अच्छी पैदावार देने वाली किस्म है लेकिन मिट्टी की जांच के आधार पर एक हेक्टेयर खेत में 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस और 30 से 40 किलो पोटाश का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- बता दें कि पूसा तेजस गेहूं की फसल सिर्फ 3 से 5 सिंचाईयों में पककर तैयार हो जाती है. इससे मिट्टी में सिर्फ नमी बनाये रखकर भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
गेहूं का उत्पादन
गेहूं की इस किस्म से किसान 115 से 125 दिनों के अंदर 65 से 75 क्विंटल तक पैदावार लें सकतें हैं. कड़क और चमकदार दानों वाली पूजा तेजस किस्म दिखने में जितनी आकर्षक होती है, इससे बने खाद्य पदार्थ भी उतने ही स्वादिष्ट होते हैं.
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