सोयाबीन की इन किस्मों की बुवाई कर पाएं बंपर उत्पादन, कम पानी में भी मिलेगा डबल मुनाफा

नई दिल्ली | भाग- दौड़ भरी इस जिंदगी में शरीर को स्वस्थ बनाए रखना भी एक चुनौती बन गया है. ऐसे में पौष्टिक भोजन करना ही इसके लिए सबसे बड़ा उपाय है. पौष्टिक भोजन में आजकल मार्केट में गोल्डन बीन की मांग तेजी से बढ़ रही है. गोल्डन बीन के नाम से मशहूर सोयाबीन की खेती भी फायदेमंद है.

Soybean

सोयाबीन की खेती कर जहां किसान अपने आप को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकते हैं तो वहीं पारम्परिक खेती से हटकर कुछ अलग करने की सोच किसान को प्रगतिशील किसानों में शुमार करती है. खास बात ये कि इस फसल को कम जमीन और कम पानी में ज्यादा उगाकर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है.

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मुनाफा बढ़ा सकते हैं किसान

कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. एके राय ने एक न्यूज चैनल पर बताया कि जलवायु परिवर्तन होने की वजह से कई बार समय पर बारिश नहीं होती है. इसके चलते मौसमी फसलों जैसे धान की खेती में किसानों को खासा नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसी स्थिति में किसान सोयाबीन की खेती कर अपने नुकसान को कम और मुनाफे को बढ़ा सकते हैं.

इन किस्मों से बेहतर उत्पादन मिलेगा

डॉ. एके राय ने बताया कि किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिलें, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में सोयाबीन की उन्नत किस्म तैयार की गई है. इसमें JS- 2036, JS- 2095 और JS- 355 वैरायटी शामिल है. इन किस्मों की बिजाई कर किसान अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं.

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उन्होंने बताया कि सोयाबीन की खेती हमेशा ऊंची भूमि वाले खेत में करनी चाहिए. सोयाबीन की बुवाई करने का सबसे बेहतर समय मई- जून में होने वाली पहली बारिश है. पहली बारिश में जब खेत में नमी आ जाती है, तब इसकी बुआई करनी चाहिए. सोयाबीन की खेती के समय खेत में पानी का जल- जमाव नहीं होना चाहिए.

इस तरीके से करें बुवाई

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि सोयाबीन के बीज की बुआई के समय पौधे से पौधे की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर, लाइन से लाइन की दूरी 45 से 50 सेमी रखने से पौधों को भरपूर पोषण मिलता है और किसान को बेहतर उत्पादन प्राप्त होता है. एक हेक्टेयर में किसान को 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार होती है.

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खाद की मात्रा इतनी होनी चाहिए

उन्होंने बताया कि किसानों को 1 हेक्टेयर में 40 से 50 किलो DAP, 40 से 50 किलो पोटाश और 80 किलो यूरिया की आवश्यकता पड़ती है. यूरिया का उपयोग थोड़ी- थोड़ी मात्रा में 3 बार करना चाहिए. एक हेक्टेयर में करीब 12 से 15 किलो यूरिया बुआई के समय, उसके बाद 25 से 30 किलो यूरिया पौधे के विकास के समय और 40 से 50 किलो यूरिया पौधे में जब फूल लग जाते हैं, उस समय देना चाहिए.

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