सिरसा | कपास की फसल में गुलाबी सुंडी की लगातार मिल रही शिकायतों को देखते हुए कृषि विभाग पहले ही अलर्ट हो गया है. गुलाबी सुंडी के खतरे को भांपते हुए कृषि विभाग मुख्यालय की ओर से किसानों के लिए स्पेशल एडवाइजरी जारी की गई है. इसके तहत कृषि अधिकारी जिन क्षेत्रों में कपास का उत्पादन अधिक होता है, वहां नियमित तौर पर फील्ड में उतरकर फसल की निगरानी करेंगे. उन गांवों में गुलाबी सुंडी की पहचान और रोकथाम के लिए जागरुकता अभियान चलाएं जाएंगे.
नीम आधारित दवा का करें इस्तेमाल
उप कृषि निदेशक डॉ बाबूलाल ने बताया कि शुरुआत के 60 दिन तक प्रकृति में कीड़ों के प्राकृतिक शत्रु सक्रिय रहते हैं. अतः इस समय किसी भी तरह की दवा का छिड़काव न करें. फिर भी ज्यादा आवश्यक हो जाएं तो नीम आधारित दवाई अचूक या निंबेसीडीन का प्रयोग एक लीटर प्रति एकड़ की दर से करें. फसल की 60 से 120 दिन की अवस्था में अगर कीट का आक्रमण होता है तो प्रोफेनोफास 50 ईसी 500 से 800 मिलीलीटर प्रति एकड़ या थायोडीकार्ब 225 से 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
121 से 150 दिनों की अवस्था में ये करें
अगर गुलाबी सुंडी का 121 से 150 दिन की फसल अवस्था पर आक्रमण होता है तो ईथीयोन 20ईसी 800 मिलीलीटर या फैनवैलरेट 20 ईसी 100 से 150 मिलीलीटर या साइपरमैथरीन 10 ईसी 200 सीसी से 250 मिलीलीटर को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि किन्हीं दो रसायनों को मिलाकर फसल पर स्प्रे न किया जाए.
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