नई दिल्ली | देशभर में खरीफ फसलों का सीजन समाप्ति की ओर हैं और किसान रबी फसलों की बुआई की तैयारियां शुरू कर रहे हैं. ऐसे में रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक नकदी फसल मानी जाने वाली सरसों की बुआई देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. किसान चाहेंगे कि कम समय में तैयार होने वाली उन्नत किस्म का चुनाव किया जाएं तो इसी कड़ी में हम आपको सरसों की एक ऐसी किस्म की जानकारी देंगे कम समय में तैयार होगी और इसकी पैदावार भी अच्छी रहती है.
जिस किस्म का हम यहां जिक्र कर रहे हैं वो सरसों की पूसा सरसों-28 है जो मात्र 100 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और इसमें तेल की मात्रा भी औरों से ज्यादा होती है. आइए हम आपको बताते है कि सरसों की कम समय में तैयार होने वाली इस किस्म की बुआई का उचित समय क्या रहेगा ताकि किसानों को अच्छी पैदावार मिल सकें.
पूसा सरसों-28 की खासियत
- सरसों की यह किस्म 105-110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
- इस किस्म से करीब 1750 से लेकर 1990 किलोग्राम तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
- इस किस्म में तेल की मात्रा 21.5% पाई जाती है.
- यह किस्म हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान जैसे राज्यों के लिए विकसित की गई है.
किसानों को मिलेगा ये लाभ
सरसों की इस किस्म की बुआई करने से किसान कम समय में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म में तेल की मात्रा भी अन्य किस्मों की अपेक्षा ज्यादा पाई जाती है. खास बात ये हैं कि ये किस्म कम समय में पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को अगली फसल की तैयारी के लिए वक्त मिल जाता है.
बुआई के समय इन बातों का रखें ध्यान
- कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि सरसों की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय 5 से 25 अक्टूबर के बीच का ही होता है. अगेती फसल बोने से किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है.
- सरसों की बुवाई के लिए किसानों को एक एकड़ खेत में 1 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए.
- सरसों की बुवाई कतार में करनी चाहिए ताकि निराई- गुडाई करते समय आसानी रहे.
- सरसों की बुवाई देशी हल, सरिता या सीड़ ड्रिल से करनी चाहिए.
- इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 से.मी. और पौधें से पौधे की दूरी 10-12 सेमी. रखनी चाहिए.
- सरसों की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि बीज को 2-3 से.मी. से अधिक गहरा नहीं बोना चाहिए क्योंकि अधिक गहराई पर बीज बोने पर बीज के अंकुरण पर विपरित प्रभाव पड़ता है.
- सरसों की बुआई के समय खेत में 100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल किसानों को बंपर पैदावार करने में मदद करता है.