कैथल | लगभग 300 घरों वाला कैथल का धेरडू गांव अन्य सभी गांवों के लिए मिसाल है. दरअसल, पूंडरी ब्लॉक का छोटा सा गांव धेरडू जिसकी सीमा में प्रवेश करते ही रिफ्लेक्टर सफेदी वाली सड़कें व लहराते पौधे, पक्की व ढकी हुई नालियां, उम्दा कोठियां व मकान, तालाब इत्यादि सभी चीजें आने वालों को बरबस ही अपनी तरफ़ मोहित करती हैं. जिसे देखकर लगता है मानो किसी शहर या विदेशी गांवों में प्रवेश हो गया हो.
गांव के विकास कार्यों को देखकर व यहां के लोगों की उन्नत सोच को देखकर ही इस गांव को फाइव स्टार गांव के नाम से या मिनी जर्मनी के नाम से जाना जाता है. यहां की सफाई, स्वच्छता, हरियाली, सोलर सिस्टम लेस युक्त आधुनिक सचिवालय, मॉडर्न स्कूल, अस्पताल इत्यादि से ही इसकी आधुनिकता का पता चलता है.
क्यों नाम पड़ा मिनी जर्मनी?
गांव के अधिकतर युवा इटली, जर्मनी, इंग्लैंड, स्पेन, फ्रांस में रहते हैं. पिछले 50 सालों से यहां के युवा विदेशों में जाकर रोजगार, बिजनेस कार्य करते हैं. इसके अलावा गांव के अधिकतर लोग सरकारी नौकरियों में कार्यरत हैं. साथ ही, गांव का अत्याधुनिक विकसत मॉडल भी विदेशों की तर्ज पर है जिससे इसे मिनी जर्मनी की संज्ञा दी गयी है. क्योंकि पूरा गांव सीसीटीवी कैमरे से युक्त है. जिससे अपराध भी नगण्य है तथा गांव में नशा करने जैसी लत भी किसी मे नही है जो सभी गांवों के लिए नजीर पेश करती है.
इस गांव की अपनी 100 एकड़ जमीन है जिससे प्राप्त सालाना आय से गांव के विकास कार्यों हेतु आत्मनिर्भरता है.इन सब विकसित पहलुओं के चलते गांव की पंचायत को केंद्र सरकार की ओर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार भी मिल चुका है जो अन्य गांवों के लिए प्रेरणास्रोत है.
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