लदंन | वैज्ञानिकों द्वारा धरती के नज़दीक एक नया एस्टेरॉयड (क्षुद्रग्रह) देखा गया है. अगले महीने यह धरती के और करीब आ सकता है और यह एक छोटे चंद्रमा की भांति दिखाई दे सकता है. अंतरिक्ष में पाए जाने वाले चट्टानी एस्टेरॉयड से भिन्न यह एक रॉकेट की तरह दिखाई देता है. उम्मीद यह की जा रही है कि यह 54 साल पहले नासा की ओर से भेजे हुए रॉकेट का यह एक हिस्सा है जिसकी चंद्रमा पर लैंडिंग असफल रही थी. जब उसे वापस धरती पर लाया जा रहा था, तभी उसका कुछ अंश अंतरिक्ष में ही टूटकर छूट गया था.
इस एस्टेरॉयड का पता लगाने वाले विज्ञानी पॉल चोडस का कहना है कि, ‘मैं इसे देखकर हैरान हूं”. पॉल चोडस नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑब्जेक्ट अध्ययन में डायरेक्टर हैं उनका कहना है कि अंतरिक्ष में इस तरह की चीजों को खोजना मेरा शौक है. यह कार्य मैं बीते दशकों से कर रहा हूं. चोडस ने इस एस्टेरॉयड को 2020 एस .ओ के नाम से प्रसिद्ध किए है. साथ ही उन्होंने बताया कि असलियत में यह नासा के छोड़े सेंटूर रॉकेट का ऊपरी भाग है, जो 1966 में छोड़ा गया था. यह अभियान चंद्रमा की सतह से टकराकर कुछ उसी तरह से असफल रहा जिस तरह से इस साल भारत का चंद्रमा पर भेजा गया लेंडर अभियान विफल रहा था.
एस्टेरॉयड क्या है?
एस्टेरॉयड या क्षुद्रग्रह ऐसे खगोलीय पिंड हैं, जो ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं. आकार में ये ग्रहों से तनिक छोटे और उल्का पिंडों से थोड़े बड़े होते हैं. 1819 में खगोलविद ग्यूसेप पियाजी ने सबसे पहला क्षुद्रग्रह ‘सेरेस’ खोजा था. परन्तु हाल ही में नजर आया गया है ‘2020 एसओ’ सच्चे रूप में एस्टेरॉयड नहीं है. यह पहले प्रक्षेपित किए गए एक रॉकेट का अधूरा अंश है.
2400 किमी प्रति घंटे की गति से आ रहा है यह धरती की ओर
यह एस्टेरॉयड करीब 26 फीट तक लंबा है. यह 32 फीट लंबे सेंटूर का अंश है जिसकी कुल चौड़ाई दस फीट थी. यह 2,400 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से धरती की तरफ आ रहा है, जो किसी सामान्य एस्टेरॉयड के धरती की तरफ आने की रफ्तार से बहुत ही अधिक कम है.
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