हिसार। हरियाणा के हिसार जिले में एक स्कूल में फर्ज़ी छात्र और फर्जी कक्षाएं लगाने का मामला सामने आया था. इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश पर हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया है कि वे इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा की गई जांच से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने मामले की जांच स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ACS से करवाने की मांग की है. ACS इस मामले की जांच रिपोर्ट 6 सप्ताह में सौंप देगी.
हाई कोर्ट ने पक्षपाती जांच पर उठाए सवाल
उच्च न्यायालय में स्कूल व अन्य प्रतिवादी पक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा है कि मामले की जांच में उनके पक्ष को ठीक से नहीं सुना जा रहा है. इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव को सभी पक्षों का तर्क सही प्रकार से सुनने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने स्कूल शिक्षा विभाग को 18 नवम्बर तक अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश भी दिया है. उच्च न्यायालय ने फर्ज़ी छात्र और फर्जी क्लासरूम मामले में बोर्ड के चैयरमैन द्वारा स्कूल के विरुद्ध कोई भी कारवाई न करने और स्कूल पर सिर्फ और सिर्फ एक लाख का जुर्माना लगाने पर सवाल उठाया है.
उच्च न्यायालय ने बोर्ड चेयरमैन के कार्य के प्रति सख्त रुख अपनाया है और राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह इस मामले पर अपनी निगरानी रखें और मामले की विस्तृत जांच करवाएं. बोर्ड व बोर्ड चेयरमैन से लेकर निचले स्तर के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाए और रिपोर्ट न्यायालय में दर्ज़ की जाए.
जाने यह था पूरा मामला
उच्च न्यायालय ने आशीष व अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर यह आदेश दिए हैं. याचिका के अनुसार यह मामला हिसार के DN पब्लिक स्कूल बरवाला का है. इन छात्रों ने 10वीं क्लास का उनका परीक्षा परिणाम घोषित न करने के बोर्ड के आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट का नोटिस मिलने पर बोर्ड ने अपने जवाब में कहा कि जनवरी में स्कूल पर बोर्ड की कमेटी ने छापा मारा था और छापेमारी में पाया गया कि शिक्षक और छात्र स्कूल में उपस्थित नहीं थे.
पूछताछ करने पर बोर्ड टीम को बताया गया कि छात्र खेलने के लिए गए हैं और जल्दी ही आने वाले हैं. बोर्ड टीम ने 1 घंटे तक इंतजार किया. कुछ समय बाद कुछ छात्र सिविल ड्रेस में आए और उन्हें पहली से पांचवी के क्लास रूम में बिठा दिया गया. जब बोर्ड की टीम ने सख्ती से पूछताछ की तो शिक्षकों ने स्वीकार किया कि वे किसी अन्य स्कूल के शिक्षक हैं. इतनी गंभीर अनियमितता को देखकर बोर्ड ने स्कूल पर ₹1,00,000 का जुर्माना लगाया था.
बोर्ड ने रोका छात्रों का रिजल्ट
जब स्कूल ने जुर्माना जमा नहीं किया तो बोर्ड ने छात्रों का परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया. इस पर छात्रों ने वकील से कहा कि यह मामला स्कूल और बोर्ड के बीच का है. बच्चों को बोर्ड द्वारा एडमिट कार्ड जारी किए गए थे. अतः स्कूल और बोर्ड के बीच चल रहे विवाद के कारण छात्रों को दंडित ना किया जाए. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का परिणाम घोषित करने के आदेश दिए हैं. बोर्ड चेयरमैन सहित सभी अधिकारियों की कार्यकारी जांच करने के आदेश भी दिए हैं ।