हरियाणा के कुछ गांवों में सुहागनों द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने पर हो जाती है पति की मृत्यु

करनाल । हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए महापर्व के समान माना गया है. सुहागिने इस व्रत को हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करती हैं. पूरे देश में यह व्रत एक त्यौहार की भांति मनाया जाता है. परंतु यह जानकार आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे कि भारत देश में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां सुहागिने करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं. वहां पर यह त्यौहार नहीं मनाया जाता है. यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि इन क्षेत्रों में यदि कोई सुहागन अपने पति के लिए यह व्रत रख ले तो वह स्त्री विधवा हो जाती है.

Karwa Chauth

जाने कौन से हैं ये क्षेत्र
हम आपको जिस क्षेत्र के बारे में बता रहे हैं वह है हरियाणा राज्य के करनाल जिले के 3 गांव: गोंदर, औगन्ध व कतलाहेड़ी. इन तीनों गांवों में कई बरसों से करवा चौथ का त्यौहार नहीं मनाया जाता. गोंदर व कतलाहेड़ी गाँव पहले औगन्द के ही हिस्से थे जो बाद मे अलग हो गए. यहां राजपूत समाज की महिलाएं बहुत लंबे समय से करवा चौथ का व्रत नहीं रख रही हैं.

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गाँवो के निवासी परिवार हैं शापित
इन गांवों में रहने वाले लोगों का कहना है कि यदि यहां की सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो उनके पति की मृत्यु हो जाती है. कहा जाता है कि इन गांवों में निवास करने वाले लोगों के परिवार शापित है और काफी बरसों पहले हुई गलती का पश्चात्ताप कर रहे हैं. लेकिन इन तीनों गांवों की बेटियां अपने विवाह के पश्चात करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं. शर्त है कि इन गांवों की बेटियों का विवाह किसी अन्य गांव में किया जाना चाहिए. ऐसा करने पर उनके पति पर किसी तरह का कोई संकट नहीं आता.

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जाने बरसों से प्रचलित कथा
इन 3 गावों में करवा चौथ से संबंधित एक कथा प्रचलित है. इस कथा के अनुसार लगभग 600 साल पहले राहड़ा गांव की लड़की का विवाह औगन्द गांव के एक लड़के से हुआ था. जब लड़की अपने मायके में थी तब करवा चौथ के व्रत से 1 दिन पहले की रात को उसे स्वपन में दिखाई दिया कि उसके पति की हत्या कर दी गई है व उसके पती के मृत शरीर को मक्के की गठरियों में छुपा कर रखा गया है. उसने स्वप्न के बारे में अपने मायके वालों को बताया. अगले दिन करवा चौथ के त्यौहार पर लड़की अपने मायके वालों के साथ औगन्ध गांव पहुंच गई. वहां पहुंचकर उसे अपना पति कहीं नहीं मिला. फिर उसने वहां के लोगों को अपने स्वप्न के बारे में बताया.

जब लोगों ने लड़की के द्वारा बताए गए सपने के अनुसार उस स्थान पर जाकर देखा जहां स्वप्न में उसके पति के मृत शरीर को रखा गया था तब वास्तव में उसके पति का शव वहां पड़ा मिला. कहा जाता है कि उस लड़की ने उस दिन करवा चौथ का व्रत रखा हुआ था. उसने अपने घर में स्वयं से बड़ी महिलाओं को अपना करवा देना चाहा लेकिन किसी भी महिला ने उसका करवा नहीं लिया. इस घटना से दुखी होकर वह लड़की करवे सहित भूमि में अपने पति के साथ सती हो गई. जाते-जाते उसने शाप दिया कि अगर इस गांव में किसी भी वधू ने करवा चौथ का व्रत किया तो उसके पति की मृत्यु हो जाएगी. औगन्ध गांव में उस स्त्री का सती मंदिर बनाया हुआ है. वहां उसकी एक मूर्ति रखी गई है. गांव के लोग करवा चौथ के दिन इस मंदिर में मत्था टेक कर आते हैं.

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