हिसार | वर्ष 1919 से देश में कई वर्षों के अंतराल पर पशुओं की गणना आयोजित की जाती है. इस गणना में सभी पालतू जानवरों की गणना को भी शामिल किया गया है. राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों साथ मिलकर मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा अब तक ऐसी 19 गणनाएँ की जा चुकी हैं. 2019 से पहले यह गणना 2012 में की गई थी. पशुधन गणना- 2019 के आंकड़ों के अनुसार, देश की कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है जो 2012 की तुलना में 4.6% अधिक हुई है.
हरियाणा के आंकड़े विस्मित करने वाले
गणना के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में बीते सात वर्षों में 17 लाख 8 हजार 668 भैंसों की संख्या कम दर्ज हुई है जबकि गायों की संख्या के एक लाख तेइस हजार बढ़ी है. जिसका मुख्य कारण शहरीकरण व भैंसों की भारी कीमत माना जाता हैं. अब किसान या घरेलू उपयोग के लिये लोग लाखों रुपये की भैंस खरीदने की बजाय कम कीमत पर मिलने वाली गायों को खरीद रहे हैं. जिसका प्रमाण इस बार की पशुगणना से मिलता है. पशुपालन विभाग की तरफ से 2012 में करवाई गई गणना के अनुसार तब भैंसों की संख्या 60 लाख 85 हजार 312 थी. परन्तु 2019 में हुई गणना के आंकड़े चौंकाने वाले हैं क्योंकि अब भैंसों की संख्या 43 लाख 76 हजार 644 रह गई हैं.
वहीं 2019 की गणना में प्रदेश में 19 लाख 32 हजार 39 गाय हैं जबकि 2012 में यह आंकड़ा 18 लाख 8 हजार116 था जिससे गायों की संख्या में संतोषजनक वृद्धि हुई है. इस बार की पशु गणना में खरगोश, हाथी भी शामिल किए हैं. जिसके अनुसार प्रत्येक जिले में खरगोश हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गऊ हत्या रोकने के प्रयासों व अन्य सामाजिक आन्दोलनों के फलस्वरूप भी गायों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है जो सराहनीय है. परन्तु विभाग को भैंसों की कम होती संख्या की तरफ ध्यान देना चाहिए.
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