अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अलर्ट जारी करते हुए बताया है कि करीब 170 मीटर बड़ा उल्का पिंड या ऐस्टेरॉयड यानी 24 जुलाई को पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा. साथ ही 2 अन्य पिंड भी पास से ही होकर गुज़रेंगे. पहला 2020 एनडी है जो धरती से करीब 50.86 लाख km की दूरी से निकलेगा. जो कि वैज्ञानिकों के अनुसार बहुत ही कम है क्योंकि अंतरिक्ष में दूरी कम होते कुछ ही क्षणों का समय लगता है. इसको Asteroid 2020 ND नाम दिया गया है जो पृथ्वी की ओर 13.5 किलोमीटर प्रति सेकंड या 48,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से आ रहा है.
ऐसे पिंड जब पृथ्वी के पास आते हैं तो उन्हें Near Earth Objects – NEO कहा जाता है. अगर यह पृथ्वी से टकराता है तो बहुत बड़े विनाश का कारण बन सकता है. पंरतु यह काफी दूर से जा रहा है इसलिए इससे नुकसान की आशंका नहीं है. अमूमन मंगल और ब्रहस्पति ग्रह की कक्षा के बीच में ऐसे उल्कापिंड ज्यादा संख्या में पाए जाते हैं, लेकिन इनमें पृथ्वी के पास से गुजरने वाले उल्कापिंडों की संख्या कम होती है. ऐसे में पृथ्वी के नजदीक इन क्षुद्रग्रहों के आने से खतरा बढ़ जाता है.
दूसरा उल्कापिंड 2016 DY 30 है. ये धरती से करीब 34 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा. जबकि तीसरा उल्कापिंड 2020 ME3 धरती से 56 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा.
सबसे नजदीक से निकलने वाला उल्कापिंड 2016 DY 30 है. इसकी गति 54 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा है. जबकि 2020 ME3 की गति 16 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा है. एस्ट्रॉयड 2016 DY 30 की चौड़ाई सिर्फ 15 फीट है. लेकिन यदि यह धरती से टकराता है तो यह भी बड़े विनाश का कारण बन सकता है.
क्या हैं ये उल्कापिंड
दरअसल उल्कापिंड मूल रूप से ग्रहों के टुकड़े होते हैं. ये टुकड़े इन ग्रहों के जन्म के समय से बचे हुए हैं. इन ग्रहों में पृथ्वी, बुध, शुक्र और मंगल शामिल हैं. यह टुकड़े अक्सर अंतरिक्ष में घूमते हुए धरती के करीब आ जाते हैं. इसलिए वैज्ञानिक आज पृथ्वी के पास से जाते इन उल्कापिंडों पर लगातार नजर रख रहे हैं जिससे किसी भी अनहोनी की आशंका से पहले ही सतर्क किया जा सके.
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