अंबाला । नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों द्वारा किए जाने वाले आंदोलन की वजह से फिरोजपुर और अंबाला रेल मंडल को लगभग 415 करोड रुपए का भारी नुकसान झेलना पड़ा है. किसान विरोध प्रदर्शित करने के लिए रेल पटरियों पर बैठ गए हैं जिसकी वजह से माल गाड़ियों की आवाजाही पूर्णता बंद हो चुकी है.
सड़क मार्ग से हो रही माल ढुलाई
अब माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग का सहारा लिया जा रहा है. पंजाब के होशियारपुर से माल को ट्रैक्टर में लोड करके अंबाला में भेजा जा रहा है. साथ ही धूलकोट से माल लोड करके मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भेजा जा रहा है. गुरूग्राम और अन्य स्थानों पर जाने वाली सीमेंट भी पंजाब के भरतपुर की बजाए अंबाला से माल गाड़ियों में लोड की जा रही है.
किसान आंदोलन ने रेलवे के रिकॉर्ड बनाने में डाला विघ्न
किसानों द्वारा किया जा रहा यह विरोध प्रदर्शन रेलवे के लिए बड़ा रिकॉर्ड बनाने में रोड़ा बन गया है. इसका कारण यह है कि कोरोना काल में देश के आंकड़ों का आंकलन किया जाए तो पिछले सभी रिकॉर्ड टूट चुके हैं. पूरे देश में सितंबर के महीने में माल की ढुलाई 15 प्रतिशत व अक्टूबर महीने में 18 प्रतिशत अधिक हुई है.
साथ ही माल गाड़ियों की रफ्तार भी बढ़ गई है जिससे माल को दूसरे राज्यों में जल्दी पहुंचाया जा सका है. अब रेल अधिकारियों का कहना है कि अगर पंजाब में किसानों ने चक्का जाम ना किया होता तो यह आंकड़ा 18% से कहीं अधिक बढ़ चुका होता.
रेलवे का फोकस-माल ढुलाई रेलवे के माध्यम से ही हो
किसानों द्वारा किए जा रहे इस आंदोलन के रेल पटरी तक पहुंचने की वजह से चंडीगढ़ से होने वाली सामान की लोडिंग पर भी खासा असर पड़ा है. ट्रैक्टरों को सड़क मार्ग से अंबाला व धूलकोट से अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है. अब तक लगभग 4000 ट्रैक्टर भेजे जा चुके हैं. ACC सीमेंट भी रोड़ के जरिए ही पंजाब से अंबाला और फिर दूसरे राज्यों में भेजी जा रही है.
रेलवे चाहती है कि फिलहाल जो भी माल ढुलाई की जा रही है वह रेलवे के जरिए ही हो. रेलवे के इसी फोकस के कारण पिछले कुछ दिनों से ऑटोमोबाइल ट्रैक्टर, कार-जीप की लोडिंग रेलवे में अधिक हो गई है.
जानिए रेलवे को हो रहा नुकसान आंकड़ो में
अंबाला रेल मंडल की तरफ देखा जाए तो किसान आंदोलन का रेलवे की आय पर बहुत बुरा असर पड़ा है. अक्टूबर 2019 में अंबाला रेल मंडल को 154.96 करोड़ की कमाई हुई थी लेकिन किसान आंदोलन के कारण यह कम होकर 2020 में 64.23 करोड रुपए ही रह गई है. हालांकि, कुछ दिनों से धूलकोट और अंबाला स्टेशन की कमाई में वृद्धि हुई है.
किसान आंदोलन की वजह से अब इन दो स्टेशनों से माल की ढुलाई की जा रही है. अक्टूबर 2019 में अंबाला की कमाई 7.46 करोड़ थी जो अक्टूबर 2020 में 9.10 करोड हो गई है. धूलकोट में भी 2019 में कमाई 2.34 करोड़ से बढ़कर 2020 में 9.10 करोड हो गई है.
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