अंबाला | हरियाणा की अंबाला छावनी में कैलाश मंदिर हाथी खाना की स्थापना साल 1844 से पहले की गई थी. लोगों की इस मंदिर के प्रति गहरी आस्थाएं है. काफी दूर- दूर से लोग यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से कुछ मांगता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. खास तौर पर सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है. कावड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर यहां स्थित शिवालय पर चढाते हैं और मन्नतें मांगते हैं.
शिवरात्रि पर प्रकट होता है नाग- नागिन का जोड़ा
ऐसी भी मान्यताएं हैं कि सावन महीने में और शिवरात्रि के अवसर पर यहां भक्तों को दर्शन देने के लिए नाग- नागिन का जोड़ा प्रकट होता है. ऐसा माना जाता है कि जो इनके दर्शन करता है उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. यहां 40 फीट ऊंची अर्धनारीश्वर की मूर्ति भी स्थापित है. यह लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.
आधी रात से लग जाती हैं कतारें
यहां जिस दिन जलाभिषेक होना होता है, उस आधी रात से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचना शुरू हो जाते हैं और लंबी- लंबी कतारें लग जाती हैं. इस विषय में जानकारी देते हुए मंदिर के महंत मनमोहन दास महाराज बताते हैं कि इस मंदिर का इतिहास ब्रिटिश काल से भी पुराना है. मंदिर के प्रति लोगों की अथाह आस्था है. सावन के महीने में यहां काफी भीड़ लगती है. भक्तों को दर्शन देने के लिए यहां नाग- नागिन का जोड़ा दिखाई देता है.
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