अंबाला | शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है लेकिन अंबाला में इस दिन मां चंद्रघंटा के साथ- साथ मां काली की भी विशेष पूजा की जाती है. इस पूजा का अपना अलग ही महत्व है क्योंकि इस प्रकार की पूजा भारत में केवल 3 स्थानों पर ही की जाती है. अंबाला में कई मंदिर हैं लेकिन “दुख भंजनी मां काली मंदिर” का विशेष महत्व माना जाता है.
अंबाला शहर के मध्य में स्थित है मंदिर
यह मंदिर अंबाला शहर के मध्य में स्थित है. यह मंदिर एक बड़े तालाब के बीच में है. यहां पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन नवरात्रि के दौरान इस मंदिर का एक अलग ही महत्व है. दरअसल, यह एक ऐसा मंदिर है जहां काली माता की मूर्ति को नवरात्रि के दौरान दूध से स्नान कराया जाता है.
यहां माता को 2 क्विंटल से अधिक दूध से स्नान कराया जाता है. भक्त बड़ी श्रद्धा से माता की मूर्ति को दूध से स्नान कराते हैं और उस दूध को प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाते हैं. मंदिर में आने वाले भक्त बचे हुए दूध से खीर बनाते हैं और प्रसाद के रूप में इसका सेवन करते हैं. आपको बता दें कि इस मंदिर की खास बात ये भी है कि भारत में कलकत्ता और कटक के बाद अंबाला ही ऐसा मंदिर है जहां देवी मां की मूर्ति को दूध से स्नान कराया जाता है.
मंदिर के पुजारी ने कही ये बात
कई पीढ़ियों से मंदिर की सेवा और पूजा कर रहे पुजारी पंकज वशिष्ठ ने बताया कि यहां देवी मां की मूर्ति को दूध से स्नान कराया जाता है. यह स्नान नवरात्रि के तीसरे दिन किया जाता है. कलकत्ता और कटक स्थित माँ काली के मंदिरों के बाद यह तीसरा स्थान है जहाँ माँ को दूध से स्नान कराया जाता है. उन्होंने बताया कि दुग्ध स्नान के बाद मां नगर भ्रमण करती हैं.
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