अंबाला | हरियाणा के अंबाला में लगभग 300 करोड़ रुपए की लागत से 1857 की क्रांति का शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है. इतिहासकारों का दावा है कि 1857 की क्रांति का बिगुल मेरठ से नहीं बल्कि अंबाला से बजा था. शहीदी स्मारक का निरीक्षण करने पहुंचे हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह शहीदी स्मारक क्रांति की लड़ाई के अनसंग वीरों की गाथा लोगों के सामने लेकर आएगा. पर्यटन के क्षेत्र में अंबाला को देश के मानचित्र पर अलग पहचान मिलेगी.इस मौके पर गृहमंत्री अनिल विज के साथ मुख्य सचिव विजय वर्धन, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक डॉ अमित अग्रवाल व अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे.
अब तक स्कूली शिक्षा में बच्चों को यहीं पाठ पढ़ाया जाता रहा है कि 1857 की क्रांति का आगाज मेरठ से हुआ था. लेकिन अब भविष्य में किताबों में पढ़ाये जाने वाले इतिहास के बदलाव की आवाज खुद-ब-खुद उठने लगा. यह बात हरियाणा के अंबाला में पहुंचे इतिहासकार प्रो. पुष्पेश पंत ने कहीं. बता दें कि हरियाणा के अंबाला में अमृतसर- दिल्ली नेशनल हाईवे के साथ लगभग 300 करोड़ की लागत से शहीदी स्मारक का निर्माण किया जा रहा है. जिसका निरीक्षण करने का हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज पहुंचे थे.
मीडिया से रूबरू हुए
निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए गृहमंत्री अनिल विज ने बताया कि 1857 की क्रांति की शुरुआत मेरठ से लगभग 9 घंटे पहले अंबाला से हुई थी और इस बात के प्रमाण भी सामने आएं हैं. ऐसे में क्रांति के उन गुमनाम चेहरों की गाथा को प्रदर्शित करने के लिए अंबाला में यह शहीदी स्मारक बनाया जा रहा है. जो अंबाला को देश के मानचित्र पर नई पहचान दिलवाएगा. विज ने बताया कि यहां वीरों की गाथा फिल्म, ओपन एयर थियेटर और लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से दिखाई जाएगी.
पहले भी पैरवी करते रहे हैं अनिल विज
सूबे के गृहमंत्री अनिल विज पूर्व की सरकारों के शासनकाल में भी इस बात की पैरवी करते रहे हैं कि क्रांति का आगाज पहले अंबाला से हुआ था. इतिहासकारों ने शहीदी स्मारक के निर्माण का श्रेय गृहमंत्री अनिल विज को दिया.
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