अंबाला । अंबाला जिले के गांव फतेहपुर से एक परिवार के बदतर जिंदगी जीने की जो तस्वीरें सामने आई है उससे इंसानियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं. परिवार की खस्ता हालत और इसके सदस्यों की मानसिक स्थिति दोनों सही नहीं होने के कारण परिवार लंबे समय से नरकीय जीवन जी रहा है. परिवार के एक सदस्य की दिमागी हालत बिगड़ी तो उसे जंजीरों से जकड़ दिया गया. युवक पिछले दस सालों से जंजीरों में कैद था. सूचना मिलने पर करनाल की मेरा आशियाना संस्था इस घर में पहुंची और युवक को रेस्क्यू किया. संस्था ने युवक के बेहतर इलाज का वायदा भी किया.
कोई मदद के लिए आगे नहीं आया
बता दें कि नारायणगढ़ तहसील के गांव फतेहपुर का यह परिवार पिछले एक दशक से नरकीय जीवन जी रहा है. परिवार में एक बुजुर्ग महिला है जिसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है. दो बेटों में से एक पूरी तरह शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है तो दूसरा जंजीरों में कैद हैं. युवक सरबजीत की हालत और परिवार की माली हालत देखकर इंसानियत पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि इस परिवार की मदद के लिए क्यों आज तक किसी ने अपने हाथ आगे नहीं बढ़ाए.
प्राप्त जानकारी अनुसार जो युवक सरबजीत जंजीरों में जकड़ा हुआ है,उसकी दिमागी हालत 10-11 वर्ष पहले बिगड़ गई थी. वो परिजनों को मारने-पीटने लगा तो मजबूरी में उसे जंजीरों में कैद करना पड़ा. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से सरबजीत का इलाज नहीं हो सका.
युवक सरबजीत से सिर से पिता का साया वर्षों पहले उठ चुका है तो किसी ने इलाज की जहमत भी नहीं उठाई. आज घर में बिजली तक नहीं है. गांव के सरपंच ने इस परिवार की स्थिति से करनाल की मेरा आशियाना संस्था को अवगत कराया तो उन्होंने सरबजीत को रेस्क्यू किया. लंबे समय बाद युवक सरबजीत को नहलाया गया. इस दौरान जंग खा चुके ताले को भी बड़ी मुश्किल से तोड़ा गया.
परिवार की हालत ठीक नहीं
मकान पूराना होने की वजह से खडंर हो चुका है. घर में दाखिल होने पर ऐसा लगा मानों सालों से इस परिवार की सुध लेने कोई यहां नहीं आया हों. एक कमरे में पूरा परिवार बदतर जिंदगी जी रहा था. इसी कमरे में जंजीरों में कैद युवक सरबजीत वहीं मल-मूत्र कर रहा था,जिसे शायद ही कभी साफ किया गया हो. कमरें से आ रही बदबू से वहां खड़ा हो पाना मुश्किल हो रहा था.
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