अंबाला | हरियाणा के अंबाला जिलें में एक चाय वाले की किस्मत ने रातों-रात ऐसी पलटी मारी कि वह करोड़पति बन गया. कभी ईट-भट्ठे पर मजदूरी करने वाले जगदीश लाल ने चाय की रेहड़ी लगानी शुरू की थी और अब जगदीश लाल की गिनती करोड़पतियों में होने लगी है. हालांकि उसके करोड़पति बनने का मामला अंबाला नगर निगम से भी जुड़ा है और नगर निगम के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है.
अंबाला नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा ऐसा हुआ कि जगदीश करोड़पति बन बैठा. उसने कोर्ट में यह साबित कर दिया कि अंबाला- चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर खाली पड़ी बेशकीमती 10.5 एकड़ भूमि पर उसका कब्जा है. नगर निगम द्वारा कोर्ट में केस की सही तरीके से पैरवी नहीं की गई है.
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने जगदीश लाल के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि उसका 30 साल से भी ज्यादा समय से इस भूमि पर कब्जा है. जिस भूमि पर जगदीश ने कब्जा साबित किया है उसका कलेक्टर रेट यानि सरकारी रेट ही कृषि योग्य भूमि का 55 लाख रुपये प्रति एकड़ है. रिहायशी की बात करें तो वहां का कलेक्टर रेट 5500 और कामर्शियल 7500 रुपये प्रतिवर्ग गज है. इस हिसाब से रिहायशी जमीन की कीमत प्रति एकड़ 2 करोड़ 68 लाख और कामर्शियल कीमत 3.66 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बनती है.
यहा पर काम करता था जगदीश लाल
मिली जानकारी अनुसार अंबाला-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर स्थित गांव काकरू की 10.5 एकड़ जमीन है. यह जगह पहले कस्टोडियन (पाकिस्तान गए लोगों की जमीन जिसे केंद्र सरकार ने बाद में अपने संरक्षण में ले लिया था) की थी. यहां पर कभी हरीश गुलाटी नाम के एक शख्स का ईंट भट्ठे हुआ करता था जो 2005 में तोड़ दिया गया था. यही भट्ठे पर जगदीश लाल काम करता था और फिर उसने यहा पहले झुग्गी और फिर पक्के मकान का निर्माण कर लिया था. भट्ठा टूटने के बाद जगदीश लाल ने इस जमीन पर कब्जा ले लिया था.
नगर निगम में शामिल हो गया था यह क्षेत्र
साल 2009 में गांव काकरू नगर निगम के अधीन आ गया लेकिन जगदीश लाल से किसी ने जमीन खाली नहीं करवाई. साल 2014 में नगर निगम ने जमीन खाली करने के लिए जगदीश लाल को नोटिस जारी किया तो उसने कोर्ट में केस फाइल कर दिया. उसने सबूत के तौर पर बिजली बिल, राशन कार्ड, वोटर कार्ड इत्यादि कोर्ट में पेश किए, जो जमीन के नाम थे. उसने दो लोगों की गवाही भी कोर्ट में दिलवाई, जिन्होंने यह माना कि जगदीश ने ही हरीश गुलाटी से जमीन पर कब्जा लिया था.
साल 2019 में कोर्ट ने फैसला लिया कि 30 साल से भी ज्यादा समय से इस जमीन पर जगदीश लाल का कब्जा है और निगम जमीन खाली करवाने के लिए किसी तरह की जबरदस्ती नहीं कर सकता हैं. दूसरी ओर नवंबर 2021 में नगर निगम की बैठक में इस जमीन पर गौशाला बनाने का प्रस्ताव पास किया गया लेकिन जब छानबीन की गई तो पता चला कि इस जमीन पर जगदीश लाल का कब्जा है.
नगर निगम ने कोर्ट में क्या खेल खेला
जगदीश लाल द्वारा कोर्ट में केस फाइल करने के बाद नगर निगम ने अपने जवाब में कहा कि जिस जमीन पर जगदीश अपना कब्जा बता रहा है वहां आज तक न कोई निर्माण हुआ है और न ही किसी का कब्जा है. साथ ही निगम ने इंतकाल नंबर 971 तारीख 23 अक्टूबर 2012 की कापी लगाई, जिसके अनुसार यह जमीन नगर निगम की है. जब कोर्ट में केस की पैरवी हुई तो नगर निगम के वकील ने कहा कि जमीन पर जगदीश ने अवैध निर्माण किया है.
फैसले में जज ने लिखा कि जब अवैध निर्माण है तो इसका मतलब वहां निर्माण हो रखा है, जमीन खाली नहीं है. दूसरा जगदीश लाल द्वारा पेश किए गए सुबूत भी यह साबित करते हैं कि जमीन पर उसका 30 साल से ज्यादा समय से कब्जा है. कोर्ट से केस हारने के बाद से आज तक निगम ने कोर्ट के इस फैसले को चुनौती ही नहीं दी.
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