अंबाला । कोरोना काल में जहां यात्री सेवाओं से आमदनी 87 फीसदी घट गई थी, वहीं माल ढुलाई से आमदनी में 10 फीसद बढ़ोतरी हो गयी. यही कारण है रेल मंत्रालय अब नए विकल्पों की तलाश में है. आमदनी बढ़ाने के लिए रेल अधिकारी फील्ड में उतरेंगे, ट्रांसपोर्ट से माल ढुलाई रेलवे में लाने के लिए अधिकारी उद्योगपतियों से मिलेंगे, और रेलवे में समय बचत सुविधाओं से अवगत कराएंगे.
रेल मंत्रालय ने 23 जून 2021 को देश भर में सभी ज़ोन को पत्र लिखकर चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लोडिंग का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है. कुल 145.1 मिलियन टन लक्ष्य तय हुआ है. जिसमें सबसे अधिक ईस्ट कॉस्ट रेलवे का 229.90 मिलियन टन, जबकि और सबसे कम कोंकण रेलवे का 2.96 मिलियन टन है.
माल ढुलाई का कारोबार कैसे बढ़े और उद्योगपतियों की समस्याओं का समाधान रेलवे से वे क्या चाहते है? इसके लिए बिज़नेस डेवलपमेंट यूनिट (बीयू) का गठन पहले ही किया जा चुका है. राष्ट्रीय रेल योजना में लंबी अवधि के लक्ष्यों के अलावा विजन के तहत कुछ तत्कालिक लक्ष्य भी हैं. विजन 2024 का लक्ष्य रेल बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, ताकि वर्ष 2024 तक 202.4 करोड़ टन माल की ढुलाई संभव हो सके. इस योजना में 2030 तक क्षमता सृजित करने का लक्ष्य है जो वर्ष 2050 तक की मांग से अधिक होगी.
ऑटोमोबाइल पर भी फोकस रेलवे का
रेलवे का ऑटोमोबाइल पर भी लगातार फोकस बढ़ रहा है रेलवे नए-नए विकल्प तलाश रहा है, ताकि रोड ट्रांसपोर्ट से माल रेलवे के जरिए पहुंचाया जाए. रेलवे का मुख्य ज़ोर कोयला, आयरन, और स्टील सीमेंट, खनीज उर्वरक व खाद्यान की ढुलाई पर ध्यान देता रहा है. मालगाड़ियों और पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनों के जरिए ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं. वर्ष 2024 तक अपनी आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय किया है.
बांग्लादेश जाएगा अंबाला से धागा
अम्बाला से रविवार को पहली बार बांग्लादेश रेल गाडी से हाई कैपिसिटी पार्सल वैन के माध्यम से धागा जाएगा. इससे पहले सड़क मार्ग से 15 दिन और समुद्री मार्ग से एक माह का समय लग जाता था. लेकिन अब 1614 किलोमीटर का सफर तय कर रेलगाड़ी के माध्यम से महज 7 दिन में ही धागा बांग्लादेश तक पहुंचाया जा सकेगा.
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