मुलाना । हमारे देश में प्राचीन मंदिरों को लेकर कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं और लोग उन पर आंख मूंद कर भरोसा भी करते हैं. एक ऐसा ही मंदिर अंबाला जिले के मुलाना क्षेत्र में हैं. बता दें कि यहां पर स्थित माता बाला सुंदरी मंदिर में साल में एक बार दिव्य पिंडी पर 61 किलों मक्खन का लेप किया जाता है.
इसके बाद हवन यज्ञ करके इसे औषधि के रूप में लोगों के बीच बांटा जाता है. इसके बारे में मान्यता है कि मक्खन रुपी दवाई को चमड़ी के रोगी को लगाने से उसका चर्म रोग दूर हो जाता है. इस औषधि को पाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हो जाती है.
माता बृजेश्वरी देवी मंदिर कांगड़ा के बाद मुलाना में मान्यता
मंदिर कमेटी सचिव अशोक राणा ने बताया कि मक्खन रूपी लेप को औषधि के रूप में बांटे जाने की मान्यता माता बृजश्वेरी मंदिर कांगड़ा के बाद केवल माता बाला सुंदरी मंदिर मुलाना में है. इस मंदिर में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर माता की दिव्य पिंडी पर किए गए लेप में 58 किलो मक्खन और 3 किलो मेवा मिलाया जाता है. अशोक राणा ने बताया कि हर साल मक्खन रुपी औषधि को लेने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती ही जा रही है.
क्या कहते हैं मंदिर पुजारी
मंदिर पुजारी पंडित चिरंजीवी ने बताया कि जब माता बाला सुंदरी भैरों के प्रहार से जख्मी हो गई थी, तब माता ने मकर सक्रांति के दिन गर्भ जून में मक्खन से सात दिन तक लेप किया था, जिससे माता के जख्म ठीक हो गये थे. तभी से इस मंदिर में यह धारणा बनी हुई है और लोग इस मक्खन रूपी औषधि और मां के आशीर्वाद को लेने मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
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