बासमती धान की फसल में रामबाण है यह छोटा सा काम, चमचमाते चावलों के साथ मिलेगा जबरदस्त स्वाद

अंबाला | भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती पर आश्रित है. यहां के ज्यादातर लोग खेती के व्यवसाय में अलग हुए हैं. मुख्य रूप से भारत में रबी और खरीफ की फसले उगाई जाती हैं. धान की फसल खरीफ सीजन में उगाई जाती है. यह किसानों को अच्छा खासा फायदा देती है. बासमती चावल (Basmati Rice) की खेती भी कई राज्यों में की जाती है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा इसकी खेती की जाती है.

basmati chawal rice

अम्बाला में की जाती है धान की खेती

हरियाणा के अंबाला जिले में भी धान की फसल काफी मात्रा में उगाई जाती है. यही कारण है कि अंबाला के ब्लॉक वन को बासमती का क्षेत्र कहा जाता है. धान की फसल में काफी ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. इस क्षेत्र में नहरों की काफी संख्या है, जिस कारण धान की रोपाई में दिक्कत नहीं आती. जून के महीने में धान की बिजाई की छोटी क्यारियों को तैयार किया जाता है. बीज तैयार होने के बाद छोटे पौधे के एक या दो फीट के हो जाने के बाद इसकी रोपाई कर दी जाती है.

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अंबाला के ब्लॉक- 1 गांव चोडमस्तपुर के रहने वाले युवा किसान प्रदीप बताते हैं कि उनके यहां सबसे अधिक धान की खेती होती है. जून के महीने के शुरुआती दिनों में वह धान के बीज की छोटी क्यारी में बिजाई करते हैं. जब पौधा 1 या 2 फीट का हो जाता है तो उसके बाद पानी से खेत को तैयार कर लिया जाता है और पौधे की रोपाई कर दी जाती है.

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20 से 25 दिन तक डाला जाता है कॉफी पानी

किसान ने बताया कि धान की फसल को कीट लगने से बचाने के लिए समय- समय पर कई प्रकार की दवाइयां का प्रयोग करना पड़ता है. धान की फसल की रोपाई के समय 20 से 25 दिन तक खेत में काफी मात्रा में पानी डाला जाता है. धान के पौधे को सूखने से बचाना होता है. चूहे भी कई बार फसल को काटकर खराब कर देते हैं. अक्टूबर के महीने में इस फसल की कटाई का काम कर लिया जाता है. यहां 2 तरह के चावल उगाए जाते हैं- एक मोटा चावल और दूसरा पतला बासमती चावल. यह अंबाला से बाहर के राज्य में बेचा जाता है.

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