भिवानी । हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित की जानें वाली अध्यापक पात्रता परीक्षा ( HTET) के आयोजन में करोड़ों के गोलमाल की आंशका से जुड़े मामले का पर्दाफाश हुआ है. आरटीआई से मिली जानकारी अनुसार के अनुसार खुलासा हुआ है कि बोर्ड ने एचटेट परीक्षाओं के आयोजन के लिए कराई गई परीक्षाओं में साल-दर-साल करीब 6 करोड़ रुपए का चूना लगा डाला. हैरानी की बात यह है कि बोर्ड 2016 से ही पुरानी कंपनियों को ही एचटेट परीक्षा के आयोजन का ठेका देता आ रहा है.
आरटीआई में अधिकारियों ने जवाब दिया है कि एचटेट के टेंडर से जुड़ी जानकारियां भी बोर्ड के रिकार्ड से गायब हो गई है. अगर बोर्ड में पिछले पांच साल से जुड़े एचटेट परीक्षा आयोजन में खर्च हुए करोड़ों रुपए की विजिलेंस विभाग द्वारा जांच की जाती है तो कर्मचारी भर्ती घोटाले के बाद बोर्ड के इस सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा.
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने इस मामले को लेकर हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी , जिसके जवाब में कई चौकाने वाली बात सामने आई है.बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि बोर्ड द्वारा दिए गए जवाब में 2016-17 में एचटेट पर 73844741 बजट खर्च दर्शाया है. जबकि 2017-18 में इसी परीक्षा के आयोजन पर 130768484 खर्च डाले. अगले ही साल एचटेट पर करीब 6 करोड़ रुपये अधिक खर्च किए जाने से बोर्ड अधिकारियों की भूमिका पर कई गंभीर सवालिया निशान लग रहें हैं. जबकि हर बार उन्हीं एजेंसियों को एचटेट का ठेका दिया गया, जो पहले भी कई अनियमितताओं की वजह से विवादों में आ चुकी हैं.
आरटीआई से बोर्ड में मांगे थे जवाब
बृजपाल परमार ने आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी कि एचटेट परीक्षा के टेंडर से जुड़े जानकारी का विज्ञापन, वीडियोग्राफी, टेंडर कराने की कमेटी में कौन-कौन अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे. कितनी कंपनियों ने इस टेंडर में हिस्सा लिया और क्या-क्या कोटेशन दी गई थी. लेकिन इन सभी के जवाब में बोर्ड ने रिकार्ड उपलब्ध नहीं होने की बात कही है. इसके अलावा बोर्ड द्वारा एक ही आरटीआई में दोहरे जवाब भी दिए गए हैं. जिससे बोर्ड अधिकारियों की नियत पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि वे घपला उजागर होने की आंशका से भयभीत होकर मामला दबाने में जुटे हुए हैं.
विजिलेंस जांच की मांग
बृजपाल परमार ने आरटीआई में मिलें सबूतों और कई अहम जानकारियां छिपाएं जाने पर बोर्ड अधिकारियों की भूमिका की विजिलेंस विभाग से जांच कराने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि 2016 से लेकर अब तक हुई एचटेट परीक्षाओं में सीसीटीवी, जैंबर, फ्रेसकिंग (डंडा), अंगूठा जांच, सिग्रेचर चार्ट, डॉटा वेरिफिकेशन, ओएमआर सीट पर भी बजट की बंदरबांट हुई हैं, जिसमें एजेंसियों के साथ बोर्ड अधिकारियों की मिलीभगत जांच में उजागर हो जाएगा.
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