भिवानी | इंसान अगर मन में ठान ले तो वह क्या नहीं कर सकता है. केवल जरूरत होती है कड़ी मेहनत की. ऐसा ही एक कारनामा भिवानी में देखने को मिला है. दरअसल, जिले के गांव बलाली की फोगाट बहनों की कुश्ती देखकर कुश्ती के सपने को पूरा करते हुए नंगला के किसान रमेश ने गांव में ही दंगल जमा दिया. उन्होंने अपनी बेटी प्रियंका के अलावा गांव की करीब 20 लड़कियों को कुश्ती का अभ्यास कराया.
इन्होंने की जीत हासिल
अपनी मेहनत के दम पर गांव की छह बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गांव की खास पहचान बनाई. ग्राम नंगला की प्रियंका व भतेरी को हाल ही में मिलिट्री पुलिस कोर (सीएमपी) में नियुक्ति मिली है जबकि गांव की अन्य चार बेटियां रोहतक की कुश्ती अकादमी में प्रैक्टिस कर रही हैं. नंगला की 65 किग्रा भार वर्ग में प्रियंका व भतेरी, 53 किग्रा में पिंकी, 55 किग्रा में मंजू, 59 किग्रा में पुष्पा और 62 किग्रा में लक्ष्मी देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
रमेश का भी सपना था पहलवान बनना
ग्राम नंगला निवासी रमेश ने बताया कि वह गांव में ही खेती करते हैं. पहले वे कुश्ती करते थे लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने कुश्ती छोड़ दी. उन्हें इस बात की चिंता थी कि कुश्ती में गांव को खास पहचान कैसे दी जाए. करीब 10 साल पहले जब बलाली की फोगाट बहनें सुर्खियों में आईं तो उन्होंने अपनी बेटी प्रियंका और गांव की अन्य बेटियों को भी सरकारी स्कूल के मैदान में कुश्ती का अभ्यास कराया.
10 साल की कड़ी मेहनत के बाद प्रियंका, भतेरी, पिंकी, मंजू, पुष्पा और लक्ष्मी ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते. रमेश ने बताया कि जब वह इन लड़कियों को अभ्यास कराते थे तो लोग ताने मारते थे लेकिन वे अपने लक्ष्य पर अडिग रहती थीं और आज उन्हीं के द्वारा प्रशिक्षित पहलवान सेना की ओर से देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. रमेश अब ट्रेनर बनकर गांव में ही लड़कियों को प्रैक्टिस करा रहा है.
प्रियंका चार बहनों में सबसे छोटी
ग्राम नंगला निवासी प्रियंका (20) चार बहनों में सबसे छोटी हैं जो 65 किलोग्राम वर्ग में कुश्ती के पहलवान हैं. प्रियंका ने सब जूनियर इंटरनेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, एशियन जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप, गोल्ड मेडल, वर्ल्ड जूनियर रेसलिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल समेत कई मेडल जीते है.
वह एमडीयू रोहतक से स्नातक की पढ़ाई कर रही है. जो वर्तमान में महादेव कुश्ती अकादमी में अभ्यास कर रही है. प्रियंका की मां चंद्रकला गृहिणी हैं. प्रियंका ने बताया कि वह अब सेना की ओर से खेल रही हैं. उनका सपना ओलंपिक 2024 में स्वर्ण पदक जीतना है जिसके लिए वह लगातार अभ्यास कर रही हैं.
बहनें भी भतेरी को देखकर कुश्ती लड़ने लगीं
ग्राम नंगला निवासी भतेरी (21) 65 किग्रा भार वर्ग की पहलवान है जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता है. उनके पास पहले से ही विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में रजत सहित जूनियर, सीनियर, अंडर -21 कुश्ती चैंपियनशिप में पदक हैं.
पिता करते हैं गांव में खेती
भतेरी के पिता ओमबीर गांव में ही खेती करते हैं जबकि मां अनीता देवी गृहिणी है. भतेरी अपने परिवार की पहली कुश्ती खिलाड़ी थीं जिनके प्रदर्शन को देखकर छोटी बहनों ने भी कुश्ती में अपना भविष्य बनाने का फैसला किया. उनकी मौसी की बेटी पुष्पा भी कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय और लक्ष्मी राष्ट्रीय खिलाड़ी बन गई हैं जबकि बुआ का बेटा कुलदीप कुछ समय पहले कुश्ती सीखने लगा है.
भतेरी स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं. वर्तमान में महादेव कुश्ती अकादमी, रोहतक में कोच देवेंद्र गुलिया और बिजेंद्र गुलिया के मार्गदर्शन में अभ्यास कर रही हैं.
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