भिवानी | 18 फरवरी को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. छोटी काशी के नाम से मशहूर भिवानी में हर साल की तरह महाशिवरात्रि पर्व पर शिव भक्तों का तांता लगा रहेगा. देवों के देव भगवान शिव के इस पर्व में छोटी काशी के लोगों की भी बड़ी आस्था है. इस दिन भिवानी के सबसे बड़े शिव मंदिर जोगी वाला मंदिर में भगवान शिव का विशेष जलाभिषेक किया जाता है और कावड़ चढ़ाया जाता है.
जोगीवाला मंदिर करीब 300 साल पुराना
भिवानी के जोगी वाला मंदिर महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भिवानी का जोगीवाला मंदिर करीब 300 साल पुराना है. बाबा मस्तनाथ के शिष्य बाबा मेहुनाथ ने इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की थी. मंदिर के महंत के अनुसार, कहा जाता है कि 300 साल पहले भगवान शिव की मूर्ति को जींद ले जाने वाला एक गाड़ीवान रात्रि विश्राम के लिए जोगीवाला मंदिर में रुका था.
सुबह जब ठेले वाले आगे बढ़ने लगे तो गाड़ी फंस गई और बहुत कोशिश करने के बाद भी वे मूर्ति को यहां से नहीं ले जा सके. इस पर बाबा मेहूनाथ ने गाड़ीवान से प्रार्थना की और इस मूर्ति को यहां स्थापित करवा दिया. यहां शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है.
महंत वेदनाथ महाराज ने बताया कि भगवान शिव की भक्ति और भक्ति से पूजा की जाती है. चरणामृत से भगवान शिव के आदि-अनन्त स्वरूप की पूजा की जाती है. चरणामृत पांच पदार्थों से बनता है. इसे दूध, दही, घी, चीनी और शहद से बनाया जाता है.
मनोकामना होती है पूर्ण
पर्व के दौरान चरणामृत से शिवलिंग की पूजा की जाती है. उसके बाद धूप-दीप से बेलपत्र, धूप और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र से भगवान शिव की पूजा की जाती है. वहीं, भिवानी निवासी मेहुल ने बताया कि भगवान शिव हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी करते हैं. शिवरात्रि पर्व पर पूरे देश में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है. जिससे भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन सभी भक्त बेल पत्र से जलाभिषेक कर भगवान शिव की पूजा करते हैं.
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